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हर वक़्त धूप

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

पूरे विश्व में लोग मौसम के बारे में चिंतित रहते हैं। लोग अच्छा-ख़ासा समय स्थानीय मौसम के पूर्वानुमानों की रिपोर्ट सुनने और पढ़ने में लगा देते हैं। पूर्वानुमान बताने वाले सभी को बताते हैं कि अगले दिन का मौसम कैसा होगा।

जहाँ भी मैं यात्रा करता हूँ, मुझे पता चलता है कि विभिन्न प्रकार के मौसम विभिन्न देशों और इलाकों के लोगों को कैसे प्रभावित करते हैं।

उदाहरण के लिए, जब किसी-किसी इलाके में बर्फ़ का तूफ़ान आता है, तो वहाँ जीवन ठप्प पड़ जाता है। स्कूल बंद हो जाते हैं, और लोग भारी बर्फ़ की वजह से काम पर नहीं जा पाते। लेकिन वहीं किसी दूसरी जगह के लोग, जो बेहद ठंडे मौसम के आदी होते हैं, भारी बर्फ़बारी होने पर भी अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं। वो लोग बर्फ़बारी के लिए तैयार होते हैं; उनके यहाँ बर्फ़ हटाने की मशीनें मिनटों में ही सड़कों से बर्फ़ हटा देती हैं, ताकि लोग कारों या बसों से काम पर या स्कूल जा सकें। वो लोग भारी, गर्म कोट पहनकर घरों से बाहर बर्फ़ में जाते हैं और अपने-अपने काम निपटाते हैं। इन जगहों पर मौसम की वजह से शायद ही कभी जीवन ठप्प पड़ता हो, जबकि कई दूसरी जगहों पर बर्फ़ पड़ने से पूरा शहर ही मानो बंद पड़ जाता है।

जब मैं उन लोगों के बारे में सोचता हूँ जो इतने बलवान और सख़्तजान हैं कि मौसम के ख़राब होने के बावजूद अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं, तो मुझे याद आता है कि हम भी इसी तरह अपना जीवन जी सकते हैं। जीवन में आने वाले तूफ़ानों के बावजूद हमें जो करना है वो करना ही है, ऐसा रवैया रखने से हमें बहुत फ़ायदा होता है। ये फ़ायदे शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक, कई तरह के हो सकते हैं। ऐसा रवैया रखने से हमारे ध्यानाभ्यास में भी फ़ायदा होता है, हम सकारात्मक गुणों का विकास कर पाते हैं, और एक सुखी जीवन जी पाते हैं।

आइए पहले हम ध्यानाभ्यास की ओर देखें। जो लोग जीवन में अपने उद्देश्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट होते हैं, वो जानते हैं कि बाहर चाहे बारिश हो रही हो या बर्फ़ गिर रही हो, बेहद ठंड हो या भीषण गर्मी हो, एक न एक दिन वो मौसम अवश्य गुज़र जाएगा और धूप ज़रूर निकल आएगी। जब सर्दियाँ आती हैं, तब भी वो लोग जानते हैं कि चाहे चार से नौ महीने लगें (यह अवधि इस बात पर निर्भर है कि वो कहाँ रहते हैं), लेकिन वसंत या गर्मियाँ आने पर फूल एक बार फिर अवश्य खिलेंगे। वो लोग लंबी सर्दियों को शांत भाव से स्वीकार करते हैं, जिसमें बीच-बीच में कभी अचानक उजली धूप के दिन भी निकल आते हैं, लेकिन वो लोग जानते हैं कि आख़िरकार सर्दियाँ ख़त्म होंगी और गर्मियाँ आ जायेंगी। यही रवैया हमें अपने ध्यानाभ्यास में भी अपनाना चाहिए।

हमारे अंदर हर वक़्त उजली धूप खिली रहती है। हमारे अंदर हर समय सूर्य चमकता रहता है। हमारे अंदर हर क्षण प्रकाश फैला रहता है। ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपने अंदर के इस प्रकाश के साथ जुड़ सकते हैं। जब हम इस तकनीक को सीख लेते हैं, तो हम कभी भी अपनी आँखें बंद करके प्रकाश को देख सकते हैं। हम अंधेरे को रोशनी में बदलने का रहस्य सीख सकते हैं।

जब हम ध्यानाभ्यास सीखना शुरू करते हैं, तो हम देखते हैं कि विचार हमारी एकाग्रता को भंग कर रहे हैं। हम इन भटकाने वाले विचारों को बुरे मौसम के समान समझ सकते हैं। हम जानते हैं कि जब हम हवाईजहाज़ में यात्रा करते हैं, और जब हमारा विमान उड़ान भरता है, तो ज़मीन पर मौसम बादलों वाला, बारिश वाला, या बर्फ़ वाला हो सकता है। लेकिन जब हवाईजहाज़ एक ख़ास ऊँचाई पर पहुँचता है, तो वो बादलों से ऊपर उठ जाता है और हम देखते हैं कि ऊपर धूप खिली होती है। ध्यानाभ्यास भी इसी तरह है। हमारे अंदर हर समय सूर्य और प्रकाश चमक रहा है। हम उसे देख नहीं पाते क्योंकि हम बुरे मौसम रूपी विचारों पर ही ध्यान केंद्रित किए रहते हैं।

हमारे विचार बहुत अस्थिर होते हैं। वो एक क्षण के लिए भी स्थिर नहीं रहते। ये बिल्कुल ऐसा ही है जैसे अलग-अलग दिशाओं से अलग-अलग तरह का मौसम हमारी तरफ़ आ रहा हो। हम कभी गर्म तो कभी ठंडे मौसम का सामना करते हैं। जब ये दोनों मिलते हैं, तो तापमान में होने वाला परिवर्तन बारिश ला सकता है। जब गीली, गर्म हवा से ठंडी हवा टकराती है, तो वो नमी, पानी में बदलकर बारिश के रूप में गिरने लगती है। अगर तापमान शून्य से नीचे हो, तो वो बर्फ़ के रूप में गिरती है। हवा में हलचल होने से तेज़ हवाएँ और तूफ़ान पैदा हो जाते हैं। मौसम के कुछ अन्य बदलावों से बिजली चमकने लगती है और बादल गड़गड़ाने लगते हैं। किसी भी दिन, ग्रह के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों बिजली के तूफ़ान आते रहते हैं। हमारे ग्रह के अलग-अलग भागों में अलग-अलग तरह का मौसम छाया रहता है। ऐसा ही कुछ हमारे विचारों के साथ भी है।

हम ध्यानाभ्यास में बैठने की कोशिश कर रहे होते हैं, और अचानक हमें कोई विचार आ जाता है। जिस प्रकार हम कभी खिली धूप का आनंद ले रहे होते हैं, लेकिन अचानक बादल आ जाते हैं और बारिश होने लगती है। ऐसे में हमारे पास दो विकल्प होते हैं। हम अपना काम ज़ारी रख सकते हैं, या हम मौसम से गुस्सा होकर काम-धाम बंद करके घर बैठ सकते हैं। इसी प्रकार, जब हम ध्यानाभ्यास कर रहे होते हैं, तो हो सकता है कि हम अंतर में प्रकाश देखने लगें, लेकिन तभी अचानक हमें कोई विचार आ जाता है। हम या तो उस विचार में उलझकर ध्यान एकाग्र करना छोड़ सकते हैं, या हम उस विचार से ध्यान हटाकर दोबारा आंतरिक प्रकाश पर एकाग्र हो सकते हैं।

कई विचार तूफ़ानी बादलों की तरह अचानक आकर हमें ध्यान टिकाने से रोक देते हैं। हो सकता है कि हमें अतीत का कोई विचार आ जाए। हो सकता है हमें किसी सुख का विचार आ जाए, या हो सकता है कि हमें किसी दुख से संबंधित विचार आ जाए। विचार चाहे अच्छा हो या बुरा, हम अंतर में ध्यान टिकाना बंद कर देते हैं। हमारा शरीर ऐसे लगता है जैसे ध्यान में बैठा है, लेकिन अंतर में हमारे विचारों के मौसम में उतार-चढ़ाव चल रहा होता है।

हो सकता है कि हमें भविष्य संबंधी विचार आ रहे हों। हो सकता है कि हम सोच रहे हो कि अगली छुट्टियों में कहाँ जायें, या यह कि हमें उस दिन क्या-क्या काम निपटाने हैं, या यह कि हम क्या ख़रीदना चाहते हैं, या यह कि हम अपने घर की ऐवज़ में लोन कैसे ले सकते हैं। हो सकता है कि हम अपने बॉस से नाराज़ हों कि उसने हमारी तनख़्वाह नहीं बढ़ाई, इसीलिए हम तय कर रहे हों कि हमें उससे क्या कहना है ताकि वो हमारी तनख़्वाह बढ़ा दे।

अगर हम किसी स्थिति के बारे में कुछ कर नहीं सकते, तो हम भविष्य की चिंता में लग जाते हैं। भविष्य के ख़याल हमें घेरे रहते हैं, और हमें शांत होने से तथा पूरी एकाग्रता से ध्यान टिकाने से रोकते हैं। भविष्य के ये विचार हमें ध्यान एकाग्र नहीं करने देते।

ध्यानाभ्यास करते समय, हमें क्रोध, हिंसा, और अहंकार संबंधी विचार आ सकते हैं। तूफ़ानी बादलों के समान ये विचार हमें आंतरिक सूर्य को देखने से रोक देते हैं।

क्रोध उस बवंडर की तरह होता है जो हमारे पैरों तले ज़मीन निकाल देता है और अपने मार्ग में आने वाली हर चीज़ को तबाह कर देता है। एक बवंडर अप्रत्याशित होता है। मौसम विज्ञानी बवंडर के पैदा हो जाने पर उसे ट्रैक करते हैं और दूर-दराज के लोगों को उसके आने से पहले ही चेतावनी दे देते हैं। इससे लोगों को अपने घर-बार बंद करके सुरक्षित स्थान पर चले जाने का समय मिल जाता है। लेकिन एक बवंडर अचानक ही अस्तित्व में आता है, और उसके बिल्कुल आसपास के लोगों को बचने का समय नहीं मिल पाता। दूर के लोगों को उसकी सूचना अवश्य मिल जाती है और वो सुरक्षित स्थान पर चले जाते हैं, लेकिन फिर भी किसी को पता नहीं होता कि बवंडर किस दिशा में आगे बढ़ेगा। वो अचानक ही पैदा होता है, और कुछ सेकेंडों में ही घरों, इमारतों, पेड़ों और जानवरों को ज़मीन से उखाड़ फेंकता है।

क्रोध भी एक बवंडर की तरह ही कार्य करता है। वो अचानक पैदा होकर हमारे शांत, उजले दिन को उलट-पलट कर देता है। जब क्रोध आता है, तो सबसे नज़दीक वाले व्यक्ति को उससे सबसे पहले ख़तरा होता है।

क्रोध विनाशकारी होता है। वो कठोर और कड़वे शब्दों के रूप में बाहर निकल सकता है। एक क्रोधित व्यक्ति के विचार बहुत ताकतवर होते हैं और दूसरों द्वारा महसूस किए जा सकते हैं। वो हिंसात्मक कार्यों के रूप में बाहर निकल सकता है। क्रोध द्वारा किया गया विनाश अक्सर दोबारा सुधार के लायक नहीं रहता। हो सकता है कि हम बाद में माफ़ी माँग लें, लेकिन कटु शब्दों द्वारा दिए गए ज़ख्म हो सकता है कि ज़िंदगी भर न भरें। अगर हमें ध्यानाभ्यास के समय क्रोधपूर्ण विचार आ जाते हैं, तो हम अंतर में प्रकाश को नहीं देख पाते हैं। हम अपने अंतर के रोशन आकाश का आनंद लेने के बजाय, अपने मन के मौसम से प्रभावित होने का विकल्प चुन लेते हैं।

ध्यानाभ्यास में एक और बड़ी रुकावट है हमारा अहंकार। अहंकार ऐसा सोचता है कि ग्रह के तमाम मौसम का ज़िम्मेदार वो ख़ुद है। हम ध्यानाभ्यास कर रहे होते हैं, कि अचानक हमें विचार आता है कि हम ही कर्ता हैं। हम सोचते हैं कि सूरज हमारे कारण ही उदय और अस्त होता है। हम सोचते हैं कि हम कर्ता हैं, और अपनी ज़िंदगी में होने वाली सभी चीज़ों के लिए हम ही उत्तरदायी हैं। हमें यह नहीं लगता कि मौसम के लिए प्रकृति उत्तरदायी है। हमारा अहंकार हमें विश्वास दिला देता है कि हम ही कर्ता हैं।

हमें लगता है कि दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, वो हमारे कारण ही हो रहा है। अगर बारिश हो रही है, तो इसलिए हो रही है क्योंकि आज हमने अपनी कार धोई है। अगर धूप निकली है, तो हम कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आज हम छाता साथ लेकर आए हैं। अगर बारिश होने वाली होती है, तो हम कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अपना छाता भूल आए हैं।

हम कहते हैं कि हम तो अच्छे मौसम का आनंद ले रहे हैं, लेकिन दूसरे राज्य में हमारी आंटी बुरा मौसम झेल रही हैं क्योंकि उन्होंने हमें जन्मदिन का तोहफ़ा नहीं भेजा था। जो कुछ भी संसार में होता है, हमें उसे ख़ुद से जोड़कर देखते हैं। हमें लगता है कि जो कुछ भी हो रहा है, वो हमारे कारण ही हो रहा है।

हमारा अहंकार हमें यकीन दिलाता है कि हम सबसे अच्छे हैं, सबसे ऊँचे हैं। अहंकार के कारण हम दूसरों को ख़ुद से नीचा समझते हैं। हमें लगता है कि हम ही सूर्य हैं, इस सृष्टि का केंद्र हैं। हमें लगता है कि और कोई हमारी तरह अच्छा नहीं है, और हम दूसरों को परछाइयों से घिरा हुआ देखते हैं, उन्हें अयोग्य समझते हैं। एक बार जब हमारे अंदर अहंकार आ जाता है, तो हम अपने बारे में सोचने में ही व्यस्त हो जाते हैं और आंतरिक रोशन आकाश पर ध्यान टिकाना बंद कर देते हैं।

तो हमारे विचारों के बुरे मौसम का समाधान क्या है? एक बार जब हम जान जाते हैं कि विचारों का मौसम हमारे आंतरिक सूर्य को ढकने की कोशिश अवश्य करेगा, तो हम सतर्क हो सकते हैं। हमारे लिए यह जानना ज़रूरी है कि जब भी हम ध्यानाभ्यास के लिए बैठेंगे, तो हमारे विचार हमें बादल अवश्य भेजेंगे, चाहे सफ़ेद हों या तूफ़ानी काले।

हमारा काम है शिकागो के लोगों से सबक लेना, जब वहाँ बर्फ़ का तूफ़ान आता है। वो रुके बिना अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं, चाहे ऑफ़िस जाना हो या स्कूल, और सिर्फ़ तभी काम बंद करते हैं जब बाहर जाना जीवन के लिए ख़तरनाक हो जाता है।

आप भी अपना काम करते रहिये और यह विश्वास रखिये कि बुरा मौसम अवश्य चला जाएगा। जब एक बादल आए, तो भी अंतर में एकाग्र रहिये। विचारों को अपना ध्यान भंग करने की इजाज़त मत दीजिए। बादल आख़िरकार आगे चले जायेंगे। कोई भी बादल कभी रुका नहीं रहता। हवायें उसे आगे ले जाती रहती हैं। इसी प्रकार, चाहे जो भी विचार आयें, चाहे अतीत के हों या भविष्य के, क्रोध के हों, हिंसा के हों या अहंकार के, वो आगे अवश्य निकल जायेंगे। आप उनमें उलझकर मत रह जाइए। उन्हें आगे निकल जाने दीजिए। अगर हम ऐसा कर सकें, तो हमारा ध्यानाभ्यास अवश्य फलदायी होगा।

मौसम चाहे धूप वाला हो या बारिश वाला, बर्फ़ वाला हो या गर्म, तूफ़ानी हो या ठंडा, हमें अपना काम करते रहना चाहिए, और अपने अंतर के रोशन मौसम पर ध्यान टिकाए रखना चाहिए। हमें ध्यानाभ्यास में केंद्रित रहना चाहिए। अगर हम ऐसा कर सकें, तो हम देखेंगे कि हमारा ध्यानाभ्यास आंतरिक धूप से खिल उठा है। तब हमारे विचारों का बुरा मौसम और गुज़रते हुए बादल हमें परेशान नहीं कर पायेंगे। हम देखेंगे कि हमारे विचारों का तूफ़ानी मौसम हमारे ध्यान को भंग करने में असफल रहेगा।

हम देखेंगे कि हमारे रिश्तों में सुधार आएगा और हम उन्हें आराम से निभा पायेंगे, क्योंकि हम अपने विचारों के तूफ़ान को तनाव और झगड़ों में बदलने नहीं देंगे।

हमारा जीवन हमेशा शांति से और आंतरिक धूप से भरपूर रहेगा।

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ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।

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जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम अपने प्रयासों में सतर्क हो जाते हैं, और परिस्थितियों या लोगों के अनुसार अपने प्रयासों में बढ़ोतरी या कमी लाते रहते हैं।

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