सभी चीज़ों में कुछ न कुछ अच्छा ढूंढ लीजिए

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

हम अक्सर एक आधे-भरे गिलास को आधा-भरा हुआ नहीं, बल्कि आधा-खाली की नज़र से देखते हैं। किसी भी स्थिति को देखते समय, ज़्यादातर लोग उसके अच्छे पहलू के बजाय उसके बुरे पहलू की ओर ही देखते हैं। लेकिन, यदि हम इस बारे में ध्यान से सोचें, तो देखेंगे कि हमारे जीवन में बहुत सारी अच्छी चीज़ें भी हो रही हैं, और हमारे पास ऐसी कई देनें हैं जिनके लिए हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए, जिसमें से एक है इंसानी जन्म का यह अनमोल उपहार।

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कोई भी स्थिति इतनी ज़्यादा ख़राब नहीं होती कि हम प्रभु का शुक्रिया करने की वजह न ढूंढ सकें। हरेक स्थिति का कोई न कोई अच्छा पहलू अवश्य होता है।

कृतज्ञ होने का स्वभाव एक स्वस्थ नज़रिया होता है, जिससे हम व्यग्रता, चिंता, उदासी, या निराशा में समय ज़ाया करने से बच जाते हैं। इसके बजाय हम उस समय को प्रभु की तलाश करने में बिता सकते हैं, और अपने आध्यात्मिक लक्ष्य पर केंद्रित रह सकते हैं। जब भी हम किसी स्थिति के बारे में शिकायत करते हैं और परेशान होते हैं, तो हम अपने अनमोल समय को नष्ट कर रहे होते हैं।

मान लीजिए कि दो व्यक्ति एक ही पार्टी में जाते हैं। हो सकता है कि एक व्यक्ति पूरा समय वहाँ मौजूद लोगों की ख़राबियाँ देखने में ही बिता दे, भोजन के स्वाद के बारे में शिकायत करता रहे, और अपनी अपेक्षाओं के पूरा न होने पर परेशान रहे। दूसरा व्यक्ति शायद वहाँ मौजूद लोगों के साथ मज़े से समय बिताए, और परोसे गए व्यंजनों में से अपने पसंदीदा पकवानों का आनंद ले। दोनों एक ही वातावरण में हैं। लेकिन एक चीज़ों में सिर्फ़ कमियाँ निकाल रहा है, और दूसरा उन्हीं चीज़ों से ख़ुशियाँ प्राप्त कर रहा है। जब दोनों उस पार्टी से जायेंगे, तो एक कहेगा कि उसका समय बहुत बुरा गुज़रा, जबकि दूसरा कहेगा कि उसे बहुत मज़ा आया। तो पार्टी के अंत में, दोनों में से कौन ख़ुश और प्रसन्नचित्त महसूस करेगा?

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इसी तरह, हमें भी दिन भर कई तरह की परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है। हम उनके बुरे पहलू की ओर ध्यान देने का निर्णय ले सकते हैं, और सारा समय शिकायत और निराशा में ही गुज़ार सकते हैं, या हम उन स्थितियों के अच्छे पहलू की ओर ध्यान दे सकते हैं और उससे ख़ुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं। हमेशा सकारात्मक बने रहने से और आध्यात्मिक विचारों में समय बिताने से, हम अपनी आत्मिक तरक्की कर सकते हैं।

यदि हम स्वयं को नकारात्मक विचारों से भरा रखेंगे, जो हर समय हमारे दिमाग में घूमते रहेंगे, तो हम अपना अनमोल समय व्यर्थ ही गँवा देंगे, जो हमें वास्तव में प्रभु की याद में बिताना चाहिए। हरेक चीज़ में कुछ न कुछ अच्छा ढूंढ लीजिए। चुनौतियों का सामना होने पर भी, हम उनके अच्छे पहलू की ओर देख सकते हैं और अपने अनमोल मानव जन्म का पूरा-पूरा लाभ उठा सकते हैं।

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बास्केटबॉल कौशल को ध्यानाभ्यास में इस्तेमाल करना

ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।

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हमेशा अपनी ओर से बेहतर से बेहतर करिए

जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम अपने प्रयासों में सतर्क हो जाते हैं, और परिस्थितियों या लोगों के अनुसार अपने प्रयासों में बढ़ोतरी या कमी लाते रहते हैं।

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एक रोचक कहानी की मदद से हम जान पाते हैं कि कैसे हम अपनी इच्छाओं और दैनिक गतिविधियों के गुलाम बन जाते हैं, और इस प्रक्रिया में अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते।

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जीवन की चुनौतियों का सामना करना

आत्मा का अस्तित्व सत्य है। यदि हम आत्मा से जुड़ सकते हैं, तो सत्य के रूप में हमारा वास्तविक स्वरूप हमारे जीवन को नियंत्रित करेगा और हमें भय से मुक्त करेगा।

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