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सैद्धांतिक को व्यावहारिक में बदलना

सैद्धांतिक को व्यावहारिक में बदलना

सैद्धांतिक को व्यावहारिक में बदलना संत राजिन्दर सिंह जी महाराज हम सभी यह जानते हैं कि जब भी हम इस संसार के किसी भी क्षेत्र का अध्ययन करना चाहते हैं, तो हम एक ऐसे शिक्षक के पास जाते हैं जो उस क्षेत्र में माहिर होता है। जब हम छोटे होते हैं, तो हम नर्सरी स्कूल में जाते...
जीवन की चुनौतियों का सामना करना

जीवन की चुनौतियों का सामना करना

जीवन की चुनौतियों का सामना करना संत राजिन्दर सिंह जी महाराज हम सभी ऐसे क्षणों का सामना करते हैं, जो ताकतवर से ताकतवर पुरुषों और स्त्रियों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होते हैं। हो सकता है कि हमारे साथ कोई दुर्घटना हो जाए, जो हमें कमज़ोर या असहाय बना दे। हो सकता है कि हमारे...
क्या सांसारिक प्रेम से बढ़कर भी कोई प्रेम है?

क्या सांसारिक प्रेम से बढ़कर भी कोई प्रेम है?

क्या सांसारिक प्रेम से बढ़कर भी कोई प्रेम है? संत राजिन्दर सिंह जी महाराज एक जागृत आत्मा का प्रेम, उसके प्रेम से भरपूर रिश्तों में झलकता है। इस दुनिया में जो प्रेम सबसे महान् माना जाता है, वो है माँ-बाप का अपने बच्चे के लिए प्रेम। अगर हमें अपने माँ-बाप का प्रेम अनुभव...
अपनी आपसी संबंद्धता को पहचानें

अपनी आपसी संबंद्धता को पहचानें

अपनी आपसी संबंद्धता को पहचानें संत राजिन्दर सिंह जी महाराज आगे दिया गया अभ्यास एक उदाहरण है जिसके द्वारा हम समस्त जीवन के साथ अपनी संबंद्धता को, अपने अंदरूनी नाते को, समझ सकते हैं। एक पानी की बूंद की कल्पना कीजिए। मान लीजिए कि उस बूंद के पास से एक नदी गुज़र रही है।...
हमारा सच्चा स्वरूप क्या है?

हमारा सच्चा स्वरूप क्या है?

हमारा सच्चा स्वरूप क्या है? संत राजिन्दर सिंह जी महाराज There are two ways to view ourselves. The first is to view ourselves primarily as a body and mind. When we see ourselves in this manner, we say that we are a mind and body that “have a soul.” The...