हमारा सच्चा स्वरूप क्या है?
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
There are two ways to view ourselves. The first is to view ourselves primarily as a body and mind. When we see ourselves in this manner, we say that we are a mind and body that “have a soul.” The second is to see ourselves primarily as a soul. When we change perspective and identify with the soul, we say that we are a soul who “has or wears a mind and body.”
लेखक के बारे में
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।
और अधिक जानना चाहेंगे?
बास्केटबॉल कौशल को ध्यानाभ्यास में इस्तेमाल करना
ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।
हमेशा अपनी ओर से बेहतर से बेहतर करिए
जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम अपने प्रयासों में सतर्क हो जाते हैं, और परिस्थितियों या लोगों के अनुसार अपने प्रयासों में बढ़ोतरी या कमी लाते रहते हैं।
लगावों को त्यागना
एक रोचक कहानी की मदद से हम जान पाते हैं कि कैसे हम अपनी इच्छाओं और दैनिक गतिविधियों के गुलाम बन जाते हैं, और इस प्रक्रिया में अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते।
सभी चीज़ों में कुछ न कुछ अच्छा ढूंढ लीजिए
हम अक्सर एक आधे-भरे गिलास को आधा-भरा हुआ नहीं, बल्कि आधा-खाली की नज़र से देखते हैं। किसी भी स्थिति को देखते समय, ज़्यादातर लोग उसके अच्छे पहलू के बजाय उसके बुरे पहलू की ओर ही देखते हैं। लेकिन, यदि हम इस बारे में ध्यान से सोचें, तो देखेंगे कि हमारे जीवन में बहुत सारी अच्छी चीज़ें भी हो रही हैं, और हमारे पास ऐसी कई देनें हैं जिनके लिए हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए।
मानवता के द्वारा जवाबों की खोज
अपने स्रोत की हमारी तलाश को, इस भौतिक सृष्टि के हमारे अनुसंधानों और अन्वेषणों में देखा जा सकता है।
आत्मा बिना शर्त सबसे प्रेम करती है
यदि हम अपनी आत्मा के संपर्क में आएँगे और दुनिया को उसकी नज़रों से देखेंगे, तो हम न केवल बिना शर्त प्रेम करने लगेंगे, बल्कि अपने लिए प्रभु के बिना शर्त प्रेम को भी महसूस कर पाएँगे।