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शाकाहारी होने के लाभ

पिछले दशक में, हमने वैज्ञानिक ज्ञान का एक ऐसा भारी विस्फोट देखा है, जिसने आज तक दर्ज़ इतिहास से कहीं ज़्यादा ज्ञान हम तक पहुँचा दिया है। अनेक वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की समर्पित खोजों व शोधों के परिणामस्वरूप, आज हम अपने शरीर के बारे में, और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के तरीकों के बारे में, पहले से बहुत अधिक जानकारी रखते हैं। जैसे-जैसे शाकाहारी भोजन अपनाने के लाभों के बारे में और अधिक प्रमाण सामने आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे दुनिया भर में शाकाहारी लोगों की संख्या बढ़ती चली जा रही है।

शाकाहार के लाभों को समझना

इतिहास भर में, अनेक महान् दार्शनिकों, संतों, और जागृत महापुरुषों ने शाकाहार के महत्त्व को स्वीकार किया है। हाल ही में, विज्ञान ने भी इन महान् लोगों के शाकाहार संबंधी विचारों पर अपनी मुहर लगा दी है। आज ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस बात को मानने लगे हैं कि शाकाहार हमारे शरीर, मन, आत्मा, और ग्रह के स्वास्थ्य में बेहतरी ला सकता है।

विभिन्न पुस्तकों, पत्रिकाओं, और अख़बारों में, शाकाहार के स्वास्थ्य-संबंधी लाभों पर लेख छपते रहते हैं। डॉक्टर और खान-पान विशेषज्ञ यही सलाह देते हैं कि स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए लोग माँस, चर्बी-युक्त भोजन, और अंडे खाना कम करें। वे कहते हैं कि हम अपने भोजन में अधिक से अधिक सब्ज़ियाँ, फल, और साबुत अनाज शामिल करें, ताकि शरीर में कोलेस्ट्रोल कम हो सके, तथा हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, और कैंसर जैसे रोग होने की संभावनाओं में कमी आ सके।

चिकित्सा क्षेत्र की इन खोजों का भोजन और रेस्तराँ उद्योगों पर बहुत गहरा असर पड़ा है। आज पहले से अधिक खाने की चीज़ें पशु-उत्पादों का इस्तेमाल किए बिना बनाई जा रही हैं। अगर हम बीस साल पहले की ओर भी देखें, तो पायेंगे कि विदेश के किसी रेस्तराँ में भोजन करने वाले शाकाहारी व्यक्ति को मैन्यू में कोई शाकाहारी व्यंजन बड़ी मुश्किल से ही मिलता था। आज अधिकतर रेस्तराओं में कई स्वादिष्ट शाकाहारी व्यंजन उपलब्ध होते हैं। आज ज़्यादातर शहरों में कई प्राकृतिक खाद्य-पदार्थों की दुकानें और शाकाहारी रेस्तराँ खुल गए हैं।

आज बड़े-बड़े सुपरमार्केट्स में भी कई तरह के शाकाहारी खाद्य-पदार्थ मिलते हैं। जो लोग शाकाहार के लाभों के बारे में गहराई से सोचेंगे, वो देखेंगे कि शाकाहार उनके जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य में काफ़ी बढ़ोतरी ले आता है।

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बहुत समय से शाकाहार का पालन करने वाले लोग उन परिवर्तनों के बारे में बताते हैं जो उन्होंने माँस का त्याग करने पर अनुभव किए। कई बताते हैं कि वो अधिक ऊर्जावान और तरोताज़ा रहने लगे, न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी। जो जानवर माँस नहीं खाते, जैसे कि हाथी, घोड़ा, खच्चर, और बैल, वो अपनी ज़बरदस्त ताकत और मज़बूत सहनशक्ति के लिए जाने जाते हैं। अधिक बल और ऊर्जा होने के कारण, शाकाहारी लोग अपने शारीरिक और मानसिक कार्य में बेहतर क्षमता और एकाग्रता का परिचय देते हैं।

जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं

एक कहावत है, “जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं”। पूर्वी देशों में, जहाँ हज़ारों सालों से शाकाहार ही प्रमुख भोजन रहा है, वहाँ लोग यह जानते हैं कि जो कुछ भी हम खाते हैं, वो हमारे शरीर का हिस्सा बन जाता है और हमारे विचारों पर भी प्रभाव डालता है। वो ऐसा मानते हैं कि किसी पशु का माँस खाने से, उस पशु की मानसिक और भावनात्मक तरंगें, या उसके गुण, उसे खाने वाले व्यक्ति के स्वभाव में शामिल हो जाएँगे। आज विज्ञान तनाव-संबंधी हॉर्मोनों के हमारे शरीर पर होने वाले असर पर, और लंबे समय तक तनाव के कारण हमारे शरीर में पैदा होने वाले रोगों और ख़राबियों पर, काफ़ी शोध कर रहा है। माँस खाने वाले लोग न केवल उस पशु का माँस खाते हैं, बल्कि डर के कारण उसके शरीर में उत्पन्न हुए तनाव-संबंधी हॉर्मोन भी अपने शरीर में ले लेते हैं। इसीलिए, कई लोग केवल पेड़-पौधों से मिलने वाले भोजन को ही खाना पसंद करते हैं, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद होता है।

आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए शाकाहार

कई जागृत महापुरुष, संत, और आध्यात्मिक सत्गुरु आध्यात्मिक व नैतिक कारणों से अध्यात्म की वकालत करते आए हैं। जो लोग आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं, उनके लिए शाकाहार कई कारणों से महत्त्वपूर्ण है। पहला, आध्यात्मिक गुरु हमें यही सिखाते आए हैं कि हम केवल शरीर और मन ही नहीं हैं, बल्कि आत्मा भी हैं। वे हमें ध्यानाभ्यास की विधि सिखाते हैं, ताकि हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप का अनुभव कर सकें। ध्यानाभ्यास में तरक्की हासिल करने में शाकाहार हमारी मदद करता है। ध्यानाभ्यास के दौरान पूरी तरह से एकाग्र होने के लिए, हमें शांत व स्थिर होने की ज़रूरत है। अगर हम मृत पशुओं का माँस खायेंगे, तो हमारी अपनी चेतनता पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

पूर्वी देशों में, शाकाहार को आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक माना जाता है। आध्यात्मिक गुरु हमें अहिंसा के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। आध्यात्मिक विकास में जो चीज़ें हमारी सहायता करती हैं, वो हैं अहिंसा, सच्चाई, पवित्रता, नम्रता, और निष्काम सेवा जैसे सद्गुण। अहिंसा, जिसमें हम किसी भी जीवित प्राणी को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं, का एक स्वाभाविक परिणाम है शाकाहार। इसीलिए, संत-महात्मा युगों-युगों से शाकाहारी भोजन की हिमायत करते आए हैं, तथा माँस, मछली, और अंडों से दूर रहने की हिदायत देते आए हैं।

शाकाहार और पर्यावरण

शाकाहार से हमारे ग्रह का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। पर्यावरण-शास्त्री हमारे ग्रह पर बसने वाले सभी जीवों के अस्तित्व को बचाना चाहते हैं। वो कहते हैं कि भोजन में कमी की समस्या का एक समाधान है अपने स्रोतों का बेहतर इस्तेमाल करना। उदाहरण के लिए, जितना अनाज एक गाय को खिलाया जाता है ताकि बाद में उसका माँस खाया जा सके, उतने अनाज से अनेक लोगों को भोजन खिलाया जा सकता है। पर्यावरण-शास्त्रियों ने यह भी दर्शाया है कि गायों और बैलों आदि को उनके माँस के लिए पालने में जितनी ऊर्जा, जल, और ईंधन का प्रयोग किया जाता है, उससे बहुत कम में हम अनाज और सब्ज़ियाँ पैदा कर सकते हैं। इस तरह, शाकाहार हमारे आवश्यक संसाधनों के सही और प्रभावशाली इस्तेमाल में सहायता करता है।

आज संसार भर के लोग अपने जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए जागृत हो रहे हैं। वो इस सृष्टि के रहस्यों को सुलझाने में अधिक रूचि रखते हैं, व्यक्तिगत और स्थाई ख़ुशियाँ पाने के लिए अधिक जागरूक हैं। हम अपने वैश्विक समुदाय की बेहतरी के लिए और अपने ग्रह के पोषण के लिए अधिक जागृत हो चुके हैं।

हम अपने शरीर, मन, आत्मा, और ग्रह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं, यह चुनाव हम में से प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं करना है। संतुलित शाकाहारी आहार ग्रहण करने से हमारे स्वास्थ्य और चुस्ती में बढ़ोतरी होती है, हमारा मानसिक संतुलन बढ़ता है, और हम आध्यात्मिक रूप से जल्द तरक्की कर पाते हैं। शाकाहारी भोजन अपनाने से हम अपने शरीर, मन, आत्मा, और ग्रह के स्वास्थ्य और शुद्धता को सुनिश्चित कर पाते हैं। हम न केवल अपनी व्यक्तिगत शांति और समस्त जीवों की शांति के लिए योगदान देते हैं, बल्कि पृथ्वी को ख़ुशियों व शांति से भरपूर स्वर्ग बनाने में भी अपनी भूमिका अदा करते हैं।

शाकाहारी होने से हम अपने शरीर, मन, आत्मा, और ग्रह को अधिक स्वस्थ बना सकते हैं। साथ ही, हम ध्यानाभ्यास के द्वारा भी अपने स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं। शाकाहार हमारे शरीर, मन, और आत्मा के स्वास्थ्य के लिए ठोस आधार बनाता है। ध्यानाभ्यास हमारे तनाव को कम करके हमारे शरीर और मन को स्वस्थ बनाता है, और हमें अपनी आत्मा के संपर्क में लाता है। यदि हम ध्यानाभ्यास करेंगे, तो हम स्वयं को स्वस्थ करने की दिशा में कदम उठायेंगे।

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बास्केटबॉल कौशल को ध्यानाभ्यास में इस्तेमाल करना

ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।

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हमेशा अपनी ओर से बेहतर से बेहतर करिए

जीवन में ऐसा समय भी आता है जब अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करने पर भी हम परिणाम से संतुष्ट नहीं होते, या जब हमारे प्रयास उन लोगों के द्वारा ही सराहे नहीं जाते जिनकी हम सहायता करने की कोशिश कर रहे होते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम अपने प्रयासों में सतर्क हो जाते हैं, और परिस्थितियों या लोगों के अनुसार अपने प्रयासों में बढ़ोतरी या कमी लाते रहते हैं।

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लगावों को त्यागना

एक रोचक कहानी की मदद से हम जान पाते हैं कि कैसे हम अपनी इच्छाओं और दैनिक गतिविधियों के गुलाम बन जाते हैं, और इस प्रक्रिया में अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते।

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सभी चीज़ों में कुछ न कुछ अच्छा ढूंढ लीजिए

हम अक्सर एक आधे-भरे गिलास को आधा-भरा हुआ नहीं, बल्कि आधा-खाली की नज़र से देखते हैं। किसी भी स्थिति को देखते समय, ज़्यादातर लोग उसके अच्छे पहलू के बजाय उसके बुरे पहलू की ओर ही देखते हैं। लेकिन, यदि हम इस बारे में ध्यान से सोचें, तो देखेंगे कि हमारे जीवन में बहुत सारी अच्छी चीज़ें भी हो रही हैं, और हमारे पास ऐसी कई देनें हैं जिनके लिए हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए।

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आत्मा बिना शर्त सबसे प्रेम करती है

यदि हम अपनी आत्मा के संपर्क में आएँगे और दुनिया को उसकी नज़रों से देखेंगे, तो हम न केवल बिना शर्त प्रेम करने लगेंगे, बल्कि अपने लिए प्रभु के बिना शर्त प्रेम को भी महसूस कर पाएँगे।

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