ध्यानाभ्यास के द्वारा क्रोध और तनाव पर काबू कैसे पायें

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

क्रोध और तनाव आज हमारे जीवन के नाटक में अनचाहे किरदारों की तरह जगह बना चुके हैं। यहाँ कुछ व्यवहारिक तरीके दिए गए हैं जिनका इस्तेमाल कर हम इन पर काबू पा सकते हैं।

हमें अक्सर ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो हमें क्रोध और तनाव से भर देती हैं। चाहे हम घर में परिवारजनों या दोस्तों के साथ हों, या ऑफ़िस में सहकर्मियों के साथ, सड़क के रास्ते अपने कार्यस्थल तक जा रहे हों, या अपने दैनिक काम निपटा रहे हों, तनाव और क्रोध हमारे जीवन का एक अंग बन चुके हैं। यहाँ कुछ व्यवहारिक तरीके दिए गए हैं जिनसे हम क्रोध पर काबू पा सकते हैं और तनाव को कम कर सकते हैं।

stress and meditation

जब हमारा सामना ऐसी परिस्थिति से हो जो क्रोध या तनाव को पैदा करे

green blue numerals 1उस परिस्थिति से दूर हो जायें

हमें उस चीज़ से ख़ुद को दूर कर लेना चाहिए जो हमें गुस्सा दिला रही हो, और एक शांत जगह में बैठकर ध्यान टिकाने का प्रयास करना चाहिए। इससे हमें एक अंतराल मिलेगा, जिसमें हम अपने दिल की धड़कन को और मस्तिष्क की तरंगों को धीमा और शांत कर पायेंगे। फिर, इस शांत अवस्था में पहुँचकर, हम दोबारा उस परिस्थिति में लौटकर अधिक संतुलन व आराम से उसका सामना कर पायेंगे।

 पहले सुनें

जब हम ध्यानाभ्यास करने के बाद दोबारा उस परिस्थिति में वापस लौटें, तो हमें शांति के साथ, बातचीत से चीज़ों को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। अपने विचार दूसरों के सामने रखने से पहले, हमें ध्यान से सामने वाले के विचारों को सुनना चाहिए, तथा ईमानदारी से सोचना चाहिए कि क्या उसकी बातों में कोई सच्चाई है। अगर ऐसा है, तो हमें अपनी गलती मान लेनी चाहिए, और अपने कटु शब्दों या कार्यों से सामने वाले को तकलीफ़ पहुँचाने के लिए माफ़ी माँग लेनी चाहिए, तथा साथ ही यह निश्चय भी कर लेना चाहिए कि हम कभी भी वो गलती नहीं दोहरायेंगे। जब सामने वाले को ऐसा लगेगा कि उसकी बात पूरी तरह से सुनी गई है, तो वो भी हमारा दृष्टिकोण सुनने के लिए अधिक आसानी से तैयार हो जाएगा। तब, हम शांति से अपनी बात उनके सामने रख सकते हैं, ताकि वो भी हमें समझने की कोशिश कर सकें जैसे हमने उन्हें समझने की कोशिश की है। फिर हम एक साथ मिलकर कोई ऐसा हल ढूंढ सकेंगे जो दोनों पक्षों को ठीक लगे, या किसी समझौते पर पहुँच सकेंगे। इस प्रकार, हम शांति से उस समस्या का समाधान खोज पायेंगे, तथा क्रोध या हिंसा का सहारा नहीं लेंगे।

जड़ तक पहुँचें

यदि हम अपने क्रोध के स्रोत का गहराई से निरीक्षण करें, तो हम शायद यह देखकर हैरान हो जायेंगे कि हमारे अहंकार की उसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। क्रोध ज़्यादातर तब पैदा होता है जब चीज़ें हमारी मर्ज़ी के अनुसार नहीं होतीं। अगर हम उस परिस्थिति से पीछे हटकर कोई ऐसा समाधान ढूंढ निकालें जिससे सभी पक्षों को संतुष्टि हो जाए, तो हम देखेंगे कि सभी ख़ुश हो गए हैं, तथा हमने वातावरण को शांत करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

शांतिदूत बनिए

क्रोध और तनाव इस बात से पैदा होते हैं कि हम अपने आसपास की परिस्थितियों को लेकर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनका नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर, हम जीवन की चुनौतियों के बीच भी शांति के दूत बन जायेंगे।

नियमित ध्यानाभ्यास

रोज़ाना ध्यानाभ्यास करने से, एक शांत जीवन जीना हमारी आदत बन जाता है। समय के साथ-साथ, ये आदत हमारा स्वभाव बन जाती है। दिन-ब-दिन, हम एक शांत और अहिंसक इंसान बनते जाते हैं, और ये गुण अपने आसपास के लोगों में भी प्रसारित करते हैं। हमारी शांति और संतुलन का प्रभाव दूसरों के ऊपर भी पड़ता है, और शीघ्र ही हमारा परिवार, समुदाय और विश्व, शांति से भरपूर हो जाते हैं। आख़िरकार, शांति की शुरुआत हमसे ही तो होती है।

सबसे प्रेम

जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने अंतर के प्रकाश का अनुभव कर लेते हैं, तो हम यह भी जान जाते हैं कि वही प्रकाश दूसरों के अंदर भी जगमगा रहा है। इससे हमें यह अनुभव होता है कि आत्मा के स्तर पर हम सब एक हैं, यह पूरी मानवता एक है। हम सभी से प्रेम करने लगते हैं और सभी से दयालुता का व्यवहार करने लगते हैं। जैसे-जैसे हम अधिक प्रेमपूर्ण और शांत होते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारे तनाव और क्रोध में कमी आती जाती है, और उसकी जगह हम सबके लिए प्रेम व सहनशीलता से भर जाते हैं, जिससे हमारा ख़ुद का जीवन और दूसरों का जीवन अधिक शांत होता जाता है।

मानवता की सेवा

दूसरों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने से हमारे तनाव में कमी आती है। जब हम समाज में अपना योगदान देते हैं, तो हम अधिक शांत व ख़ुश रहने लगते हैं, जिससे हमारे तनाव में कमी आती है। जब हम दूसरों को पहले रखते हैं, तो हमारी अपनी समस्याओं की ओर से हमारा ध्यान हट जाता है, जिससे हमारा तनाव कम होता है। दूसरों की सेवा करने से, हमारा अपना जीवन भी ख़ुशियों से भरपूर हो जाता है और हम दूसरों के जीवन को बेहतर करने में भी योगदान देते हैं।

शाकाहारी भोजन

आधुनिक शोध दर्शा रहे हैं कि शाकाहारी भोजन के कितने लाभ हैं। पेड़-पौधों से मिला भोजन खाने से हम कई बीमारियों के ख़तरे से बच जाते हैं। बीमारी से भी तनाव पैदा हो सकता है, जो न केवल हमारे शरीर पर, बल्कि हमारे परिवार पर, हमारे सहकर्मियों पर, और हमारी आर्थिक स्थिति पर भी असर डालता है। अगर हम शाकाहारी भोजन को अपने जीवन का अंग बनाकर स्वयं को स्वस्थ रखें, तो हम अपने तनाव में कमी ला सकते हैं।

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आध्यात्मिक वसंत की साफ़-सफ़ाई

जब हम अपने विचारों को साफ़ करने की ओर ध्यान देते हैं, तो हमें देखना होता है कि हम अपने कौन-कौन से पहलुओं की सफ़ाई करना चाहते हैं। हमें यह समझना होता है कि हमारे मन और हृदय में कौन-कौन सी चीज़ें ग़ैर-ज़रूरी हैं और हमें प्रभु के प्रेम को अनुभव करने से रोक रही हैं।

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अपना उपचार करना और विश्व का उपचार करना

मैं आपके सामने एक ऐसा समाधान रखना चाहता हूँ जो परिणाम अवश्य देगा – हम में से हरेक अपना उपचार करे। यदि हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने शरीर, मन, और आत्मा का उपचार कर सकें, तो हम विश्व की जनसंख्या में एक और परिपूर्ण इंसान जोड़ पायेंगे।

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क्रोध पर काबू पाना

हमारे मन की शांति को सबसे बड़ा ख़तरा क्रोध से होता है। कार्यस्थल पर, हम पाते हैं कि हमें अक्सर अपने बॉस, अपने सहकर्मियों, या अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर गुस्सा आता रहता है। मुश्किल से ऐसा एक भी दिन गुज़रता होगा जब कार्यस्थल पर कोई व्यक्ति या कोई चीज़ हमारे मन की शांति को भंग नहीं करती है। हम देखते हैं कि घर में भी हमारी प्रतिक्रियाएँ अक्सर क्रोधपूर्ण होती हैं।

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तनावमुक्त जीवन

हमारा रोज़मर्रा का जीवन समस्याओं से भरा पड़ा है। जैसे ही एक समस्या सुलझती है, वैसे ही दूसरी सामने खड़ी हो जाती है। जीवन के दबाव इतने अधिक हो चुके हैं कि वो हम पर शारीरिक व मानसिक, दोनों रूप से प्रभाव डालते हैं। इसीलिए कोई आश्चर्य नहीं है कि आज लोग अत्यधिक तनाव और दबाव के बोझ तले जी रहे हैं। तो क्या कोई ऐसा तरीका है जिस से हम तनावमुक्त जीवन बिता सकें?

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