ध्यानाभ्यास का वर्ल्ड कप
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
जिस प्रकार खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में वर्ल्ड कप के लिए स्पर्धा करते हैं, उसी प्रकार हम भी ध्यानाभ्यास का वर्ल्ड कप पाने के लिए प्रयास कर सकते हैं। वर्ल्ड कप, ओलम्पिक्स, या एन.बी.ए., एन.एफ़.एल., एन.एच.एल., एम.एल.बी., या फीफा जैसी प्रतियोगिताएँ हमें इस बात पर हैरान होने को मजबूर कर देती हैं कि इंसानी साहस से क्या-क्या संभव हो सकता है।
किसी भी खेल में चैम्पियन बनने के लिए बहुत अधिक अभ्यास की ज़रूरत होती है। जो बात हम समझ नहीं पाते, वो यह है कि अगर हम ध्यानाभ्यास में भी इतना ही समय और प्रयास देंगे, तो हम मानव जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त कर लेंगे, जो है स्वयं को जानना और प्रभु को पाना।
हम इतिहास के उन लोगों की सराहना करते हैं जो अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहे थे। वे सफल इसलिए रहे थे क्योंकि वो अपने लक्ष्य के प्रति पूरी लगन से समर्पित थे। वे कई सालों तक, दिन-रात, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जुटे रहे थे। हम भी अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकते हैं, यदि हम पूरी लगन के साथ उस दिशा में आवश्यक समय व प्रयास लगाएँ।
यही बात ध्यानाभ्यास पर भी लागू होती है। हम कम से कम समय में ही ध्यानाभ्यास के वर्ल्ड कप को पा सकते हैं, अगर हम खेल-प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के उदाहरणों से सबक ले सकें।
ध्यानाभ्यास में पारंगत होना
हम कहीं भी ध्यानाभ्यास कर सकते हैं, चाहे घर में, या ऑफ़िस में, या कहीं भी यात्रा करते समय। हम अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा समय कभी भी, कहीं भी, निकाल सकते हैं।
ध्यानाभ्यास में तरक्की करने के अपने लक्ष्य को पाने के साथ-साथ, हम अपने सभी सांसारिक उत्तरदायित्व भी निभा सकते हैं, चाहे ऑफ़िस या स्कूल जाना हो, या अपने परिवार, समुदाय, या समाज की देखभाल करनी हो। हम एक संतुलित जीवन जीने के साथ-साथ, ध्यानाभ्यास में भी ज़्यादा से ज़्यादा समय दे सकते हैं। हम अपना शारीरिक और मानसिक विकास करने के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास भी कर सकते हैं, और इन सभी क्षेत्रों में अपनी ओर से अच्छे से अच्छा प्रयास कर सकते हैं।
अगर हम अपने आध्यात्मिक अभ्यास के प्रति उतने ही अधिक समर्पित व नियमित हों जितना खिलाड़ी किसी प्रतियोगिता को जीतने के लिए होते हैं, तो हम भी ध्यानाभ्यास का वर्ल्ड कप जीत लेंगे, तथा स्वयं को आत्मा के रूप में जान लेंगे और परमात्मा को पा लेंगे।
लेखक के बारे में
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।
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सैद्धांतिक को व्यावहारिक में बदलना
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खुले हाथों का अर्थ
अनन्त सुख की खोज
भगवान का आभार
ध्यानाभ्यास उत्प्रेरक
रूहानी ख़ज़ानों की सुप्त चिंगारी आपके भीतर मौजूद है। वो जल उठने के लिए एक उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) की प्रतीक्षा कर रही है, ताकि उसकी चमकीली लौ प्रज्ज्वलित हो सके। ध्यानाभ्यास के सिद्धांत, उन्हीं वैज्ञानिक सिद्धांतों के समान हैं जिनके अनुसार यह ग्रह चल रहा है। जो नियम हमारे भौतिक संसार को नियंत्रित करते हैं, वो उन्हीं नियमों के प्रतिबिंब हैं जो आंतरिक मंडलों का संचालन कर रहे हैं।