अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ध्यानाभ्यास क्या है?
ध्यानाभ्यास अपने ध्यान को बाहरी संसार से हटाकर अपने अंतर में एकाग्र करने की प्रक्रिया है। यह एक पुरातन अभ्यास है जिसे कई अन्य नामों से भी पुकारा जाता है, जैसे अंतर में एकाग्र होना, मौन अवस्था में बैठना, या ध्यान टिकाना।
ध्यानाभ्यास क्यों करें? ध्यानाभ्यास के क्या लाभ हैं?
ध्यानाभ्यास हमारी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अवस्था में सुधार लाता है। यह तनाव कम करने के लिए, रक्तचाप में कमी लाने के लिए, एकाग्रता में सुधार करने के लिए, ख़ुशी और आनंद की भावनाओं में बढ़ोतरी करने के लिए, और जीवन की चुनौतियों का शांत भाव से सामना करने में हमारी मदद करने के लिए, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है। लेकिन ये सब ध्यानाभ्यास के अतिरिक्त लाभ हैं। ध्यानाभ्यास करने का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण है आध्यात्मिक रूप से जागृत होना और आत्मा के स्तर पर अपने अस्तित्व को पहचानना। ऐसा होते ही एक पूरा नया संसार हमारे सामने खुल जाता है।
मुझे कितना अक्सर ध्यानाभ्यास करना चाहिए?
जितना अक्सर आप कर सकें! ध्यानाभ्यास के लाभों को पाने के लिए प्रतिदिन का नियम बनाना आवश्यक है, जिसमें आप रोज़ाना एक ही नियत समय पर ध्यानाभ्यास करें। किसी भी नई आदत का विकास करने के लिए नियमितता महत्त्वपूर्ण है, और ध्यानाभ्यास के साथ भी ऐसा ही है। प्रतिदिन एक ही समय पर ध्यानाभ्यास करने से हमारा मन इस नई आदत को अपनाने के लिए प्रशिक्षित हो जाता है।
मेरे लिए अपने मन को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है। क्या मैं ध्यानाभ्यास में सफल हो सकता हूँ?
नियमित प्रयास और अभ्यास से कोई भी व्यक्ति ध्यानाभ्यास में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है कि ध्यानाभ्यास, मन को नियंत्रित करने से संबंधित नहीं है। ध्यानाभ्यास, मन को स्थिर करने से संबंधित है। इन दोनों के बीच का फ़र्क सूक्ष्म है, लेकिन यही सफलता की कुंजी भी है। नियमित प्रयास करने से कोई भी व्यक्ति अपने मन को किसी शांत चीज़ पर एकाग्र करके उसे स्थिर करना सीख सकता है। इसीलिए SOS ध्यानाभ्यास पद्धति में किसी ऐसे शब्द को मन ही मन दोहराया जाता है जो आपको शांति प्रदान करता हो।
मुझे कितनी देर तक ध्यानाभ्यास करना चाहिए?
ध्यानाभ्यास की यात्रा का आरम्भ करते समय आप प्रतिदिन 5 से 10 मिनट से शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे इसे रोज़ाना 30 मिनट या अधिक समय तक बढ़ाइए। जितनी ज़्यादा देर तक आप बैठ सकें, उतना ही बेहतर होगा। मन को दिन भर के विचारों से खाली करने में और उसे स्थिर करने में थोड़ा समय लगता है। जितनी ज़्यादा देर आप बैठेंगे, उतना ही अधिक आपको ध्यानाभ्यास में बेहतर परिणाम मिलते जायेंगे।
मैं ध्यानाभ्यास करना कैसे सीख सकता/सकती हूँ? मुझे पहला कदम कौन सा उठाना चाहिए?
जो पहला कदम आप उठा सकते हैं, वो है अपने घर के आरामदायक वातावरण में ध्यानाभ्यास करके देखना। आप प्रतिदिन 5 से 10 मिनट के लिए इसे आज़मा सकते हैं। युक्ति यह है कि अपने मन को इसकी आदत डाल दें।
आप ध्यानाभ्यास कक्षा में जाने का विकल्प भी चुन सकते हैं। हमारी नियमित वैयक्तिक सभाएँ अस्थाई रूप से निलम्बित कर दी गई हैं, परंतु हम ऑनलाइन ‘ध्यानाभ्यास करना सीखें’ कक्षाएँ आयोजित कर रहे हैं। इनकी सूची के लिए यहाँ देखें।
एक आध्यात्मिक गुरु से ध्यानाभ्यास सीखना क्यों ज़रूरी है?
स्कूल में रसायनशास्त्र (कैमिस्ट्री) के किसी प्रयोग के बारे में पाठ्य-पुस्तक में पढ़ने से जानकारी अवश्य बढ़ती है, लेकिन उसे पूरी तरह और स्पष्ट रूप से समझने के लिए उसे किसी प्रयोगशाला में एक शिक्षक/शिक्षिका की उपस्थिति में करना ज़रूरी होता है, जो हमारे प्रश्नों के उत्तर दे सके। ध्यानाभ्यास के साथ भी ऐसा ही है। ध्यानाभ्यास एक प्रयोग है जो आप अपने शरीर की प्रयोगशाला में करते हैं। जैसे-जैसे आप इस यात्रा पर आगे बढ़ते जाते हैं, आपके अंदर इस तरह के सवाल उठते हैं कि आप इस तकनीक में और अधिक निपुण कैसे हो सकते हैं और मार्ग में आने वाली किसी भी चुनौती का समाधान कैसे कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में एक शिक्षक का होना अत्यावश्यक है। अगर आप इस अभ्यास में निपुण होना चाहते हैं, तो इसे एक ऐसे शिक्षक से सीखना ज़रूरी है जो स्वयं इस तकनीक में पूरी तरह से निपुण हो। आध्यात्मिक यात्रा पर ऐसे शिक्षक को आध्यात्मिक गुरु/सत्गुरु कहा जाता है।
क्या मैं घर में ध्यानाभ्यास कर सकता/सकती हूँ?
बिल्कुल। बल्कि हम तो यही सलाह देंगे कि आप अपने घर में एक स्थान को अपना ‘ध्यानाभ्यास स्थान’ बना लें। किसी भी गतिविधि को करने के लिए एक ख़ास जगह निश्चित कर देने से उसका महत्त्व बढ़ जाता है। ऐसे में जब भी आप उस जगह को देखेंगे, तो आपको ध्यानाभ्यास करने की याद आएगी।
मैं ध्यानाभ्यास करना शुरू कैसे कर सकता/सकती हूँ?
शुरुआत करने के लिए ऐसा समय ढूंढिए जब आप पूरी तरह से जागृत अवस्था में हों और बिना किसी व्यवधान के ध्यान टिका सकें। फिर प्रतिदिन उसी समय पर बैठिए और सही ढंग से तकनीक का पालन करिए।
शीघ्र ही यह आपकी आदत बन जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे आप सुबह और रात को अपने दाँत साफ़ करते हैं।
क्या ध्यानाभ्यास में बेहतर होने के लिए कोई सुझाव हैं?
- एक स्थान निश्चित करिए – अपने घर में एक शांत स्थान ढूंढिए जिसे आप ध्यानाभ्यास के लिए निश्चित कर सकें। जब आप ऐसा करेंगे, तो वो स्थान आपको आपकी वचनबद्धता की याद दिलाएगा।
- एक समय निश्चित करिए – आप दिन या रात में किसी भी समय ध्यानाभ्यास कर सकते हैं। लेकिन ऐसा समय निश्चित करना बेहतर है जब आप पूरी तरह से जागे हुए हों और बिना किसी व्यवधान के ध्यान टिका सकें। शुरुआत में आप अलग-अलग समय पर बैठकर देख सकते हैं कि कौन सा समय आपके लिए सबसे ज़्यादा अनुकूल है।
- एक आरामदायक आसन में बैठिए – एक ऐसे आसन/मुद्रा में बैठिए जिसमें आप लंबे समय तक बिना हिले-डुले या बिना सोए, आराम से बैठ सकते हों।
- एकाग्र होना सीखिए – दिन भर में एक समय में एक ही काम करने की आदत डालिए। जब आप अपने मस्तिष्क को एक समय में एक ही काम करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे, तो यह आदत ध्यानाभ्यास के समय आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
- अपने अभ्यास में नियमित बने रहिए – आप दिन भर में जो भी समय चुनें, हर दिन उसी समय पर बैठने की कोशिश करिए। जब आप ऐसा करेंगे, तो आपकी आदत बन जाएगी। नियमितता बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- रिकॉर्ड रखें – आप ध्यानाभ्यास में रोज़ाना दिए जाने वाले समय का, ध्यानाभ्यास में होने वाले अनुभवों का, सामने आने वाली कठिनाइयों या चुनौतियों का, तथा छोटे-छोटे लक्ष्यों को पूरा करने का, रिकॉर्ड रख सकते हैं। इससे आप अपने प्रयासों पर नज़र रख पायेंगे और प्रेरित बने रहेंगे।
- प्रेम का विकास करें –जैसे-जैसे आप ध्यानाभ्यास करने लगेंगे, आप अधिक प्रेमपूर्ण और शांत होते चले जायेंगे। अपने हृदय में प्रेम-भाव लेकर ध्यानाभ्यास करने से आपके लिए अपने मन को स्थिर करना आसान हो जाएगा।
और अधिक जानना चाहेंगे?
आध्यात्मिक वसंत की साफ़-सफ़ाई
जब हम अपने विचारों को साफ़ करने की ओर ध्यान देते हैं, तो हमें देखना होता है कि हम अपने कौन-कौन से पहलुओं की सफ़ाई करना चाहते हैं। हमें यह समझना होता है कि हमारे मन और हृदय में कौन-कौन सी चीज़ें ग़ैर-ज़रूरी हैं और हमें प्रभु के प्रेम को अनुभव करने से रोक रही हैं।
शाकाहार क्यों?
जो आहार हम चुनते हैं, वो हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। अलग-अलग पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं, और आज शाकाहार काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है। यहाँ तक कि कई लोग कहते हैं कि अब हमें दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि “क्या आप शाकाहारी या वीगन (जो लोग पशु-उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते, जैसे दूध या दूध से बनी चीज़ें) हैं?”, बल्कि यह पूछना चाहिए कि “आप क्यों नहीं हैं?”
Heal the Soul through Meditation
Being unconnected with our inner core or soul causes pain. The pain may manifest as a continual restlessness for something of which we are not aware. We rush around trying to find happiness in outer pursuits and are confused when the happiness we thought we would gain eludes us. We know there is something missing, yet we know not what it is.
अपना उपचार करना और विश्व का उपचार करना
मैं आपके सामने एक ऐसा समाधान रखना चाहता हूँ जो परिणाम अवश्य देगा – हम में से हरेक अपना उपचार करे। यदि हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने शरीर, मन, और आत्मा का उपचार कर सकें, तो हम विश्व की जनसंख्या में एक और परिपूर्ण इंसान जोड़ पायेंगे।
शाकाहारी होने के लाभ
एक कहावत है, “जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं”। पूर्वी देशों में, जहाँ हज़ारों सालों से शाकाहार ही प्रमुख भोजन रहा है, वहाँ लोग यह जानते हैं कि जो कुछ भी हम खाते हैं, वो हमारे शरीर का हिस्सा बन जाता है और हमारे विचारों पर भी प्रभाव डालता है।
बास्केटबॉल कौशल को ध्यानाभ्यास में इस्तेमाल करना
ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।