ध्यानाभ्यास के द्वारा शरीर को आरोग्य रखना
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
डॉक्टर और वैज्ञानिक हमारे शरीर और मन के आपसी संबंध, तथा शारीरिक रूप से आरोग्य रहने में इसकी भूमिका, के बारे में काफ़ी खोज कर रहे हैं। चिकित्सा शोधकर्ता कुछ बीमारियों को हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्था से जुड़ा हुआ बताते हैं। उन्होंने पाया है कि जब हम मानसिक तनाव, भावनात्मक पीड़ा, या गहरी निराशा और उदासी के दौर से गुज़रते हैं, तो हमारे शरीर की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति में कमी आती है। हमें कोई बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि हम अपनी प्रतिरोधक शक्ति को बेहतरीन स्थिति में नहीं रख पाते।
विज्ञान ने कुछ रोगों, जैसे पाचन संबंधी रोग, श्वास संबंधी रोग, हृदय संबंधी रोग, और माइग्रेन सिरदर्द आदि को अधिकतर तनाव से संबंधित बताया है।
ध्यानाभ्यास कैसे हमारे शरीर को आरोग्य रखने में मदद कर सकता है
ध्यानाभ्यास कई तरीकों से हमारी सहायता कर सकता है। पहला, ये हमारे तनाव को कम कर सकता है, और इस तरह हमें कोई तनाव-संबंधी रोग होने से बचा सकता है। आज की भागदौड़ वाली दुनिया में, हमारा मन अक्सर कई तनावों और दबावों से जूझता रहता है। जीवन इतना जटिल हो चुका है कि लोगों को पास करने को काम तो बहुत हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।
कुछ लोग ऐसी नौकरियाँ या काम करते हैं जिनमें उन्हें बहुत ज़्यादा समय देना पड़ता है और बहुत अधिक ज़िम्मेदारियाँ संभालनी पड़ती हैं। कुछ लोग दो-दो नौकरियाँ करते हैं और परिवार की ज़िम्मेदारियाँ भी निभाते हैं। बहुत अधिक दबाव से लोग अक्सर गुस्से में आ जाते हैं, चिड़चिड़े और असंतुलित हो जाते हैं। वो ऐसे बर्ताव करने लगते हैं जैसे असल में उनका स्वभाव नहीं होता है। कई बार वो अपने करीबियों पर ही गुस्सा उतारने लगते हैं, और उन्हें ही सबसे ज़्यादा तकलीफ़ पहुँचाते हैं जिन्हें उन्हें सबसे ज़्यादा प्यार करना चाहिए।
ध्यानाभ्यास उस असंतुलन को ख़त्म करता है जो मानसिक तनाव से उत्पन्न होता है
ध्यानाभ्यास के द्वारा हम उस असंतुलन को ख़त्म कर सकते हैं जो हमारे जीवन के मानसिक तनावों के कारण उत्पन्न होता है। ध्यानाभ्यास में समय बिताने से हम एक ऐसे सुरक्षित और शांत स्थान में पहुँच जाते हैं जो हमारे मन को संतुलन व शांति प्रदान करता है। शोधकर्ताओं ने उन लोगों के मस्तिष्क की गतिविधि 4-10 हर्ट्ज़ पर रिकॉर्ड की है जो ध्यानाभ्यास करते हैं, जोकि एक गहन विश्राम की अवस्था होती है। जब उनका मन शांत होता है, तो उनका शरीर भी शांत हो जाता है। अगर हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास में समय बितायेंगे, तो हम पायेंगे कि हमारे तनाव के स्तर में कमी आई है और हमारा स्वास्थ्य बेहतर हो गया है।
ध्यानाभ्यास के द्वारा हमारे तनाव में तो कमी आती ही है, साथ ही उसके अन्य फ़ायदेमंद असर भी होते हैं। दिन भर की गतिविधियों के दौरान हमारा मन अधिक शांत रहता है। जैसे-जैसे हम ध्यानाभ्यास में निपुण होते जाते हैं, तो हम अशांत और हलचल भरी स्थितियों में भी स्वयं को शांत रख पाते हैं। हमारा अपनी प्रतिक्रियाओं पर अधिक नियंत्रण होता है, और हम सामने वाले व्यक्ति के अशांत होने पर भी स्वयं शांत व संतुलित बने रहते हैं। दिन भर कम तनाव में रहने से हम तनाव-संबंधी बीमारियों का शिकार होने से बच जाते हैं।
ध्यानाभ्यास, शारीरिक पीड़ा की ओर से ध्यान हटाने में हमारी मदद करता है
ध्यानाभ्यास हमारे ध्यान को चेतनता की एक उच्चतर अवस्था में ले जाता है, जिससे कि हमारा ध्यान अपनी किसी शारीरिक बीमारी की पीड़ा की ओर से हट जाता है। ध्यानाभ्यास के ज़रिए हम ख़ुशियों की एक ऐसी धारा के संपर्क में आ जाते हैं जो हमारे ध्यान को बाहरी संसार की तकलीफ़ों और पीड़ाओं से हटा देता है।
हालाँकि कई बार हम प्रकृति के नियमों को तोड़ने की वजह से बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन फिर भी ध्यानाभ्यास हमारे ध्यान को उस बीमारी की बेचैनी और दर्द से तो हटा ही सकता है। ध्यानाभ्यास से हम शारीरिक पीड़ा के एहसास से दूर जाकर अपने अंतर में शांति का अनुभव कर सकते हैं।
अस्पताल कुछ रोगों के प्रभावों को कम करने के लिए ध्यानाभ्यास कक्षाएँ लगाते हैं
ध्यानाभ्यास में नियमित, निश्चित समय बिताने से हमारे तनाव में कमी देखी गई है। कई अस्पताल और मेडिकल सेंटर, तनाव में कमी लाने के लिए और कुछ रोगों के प्रभावों को कम करने के लिए ध्यानाभ्यास कक्षाएँ लगाते हैं।
कई लोग साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी सेंटर में सिखाई जाने वाली ध्यानाभ्यास की आरंभिक विधि को तनाव के कमी लाने के तरीके के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ध्यानाभ्यास कैसे करें, यह सीखने से हम आंतरिक शांति और आनंद का अनुभव कर सकते हैं। जब आप ध्यान टिकाते हैं, तो आप स्वयं देख पाते हैं कि आपके तनाव को कम करने में इसका कितना सकारात्मक असर हो रहा है।
ध्यानाभ्यास हमारे तनाव में कमी लाने और हमारी शांति को बढ़ाने का एक प्रभावशाली माध्यम है, जिससे हमारे शरीर को आरोग्य रहने में मदद मिलती है।
और अधिक जानना चाहेंगे?
आध्यात्मिक वसंत की साफ़-सफ़ाई
जब हम अपने विचारों को साफ़ करने की ओर ध्यान देते हैं, तो हमें देखना होता है कि हम अपने कौन-कौन से पहलुओं की सफ़ाई करना चाहते हैं। हमें यह समझना होता है कि हमारे मन और हृदय में कौन-कौन सी चीज़ें ग़ैर-ज़रूरी हैं और हमें प्रभु के प्रेम को अनुभव करने से रोक रही हैं।
शाकाहार क्यों?
जो आहार हम चुनते हैं, वो हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। अलग-अलग पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं, और आज शाकाहार काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है। यहाँ तक कि कई लोग कहते हैं कि अब हमें दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि “क्या आप शाकाहारी या वीगन (जो लोग पशु-उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते, जैसे दूध या दूध से बनी चीज़ें) हैं?”, बल्कि यह पूछना चाहिए कि “आप क्यों नहीं हैं?”
Heal the Soul through Meditation
Being unconnected with our inner core or soul causes pain. The pain may manifest as a continual restlessness for something of which we are not aware. We rush around trying to find happiness in outer pursuits and are confused when the happiness we thought we would gain eludes us. We know there is something missing, yet we know not what it is.
अपना उपचार करना और विश्व का उपचार करना
मैं आपके सामने एक ऐसा समाधान रखना चाहता हूँ जो परिणाम अवश्य देगा – हम में से हरेक अपना उपचार करे। यदि हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने शरीर, मन, और आत्मा का उपचार कर सकें, तो हम विश्व की जनसंख्या में एक और परिपूर्ण इंसान जोड़ पायेंगे।
शाकाहारी होने के लाभ
एक कहावत है, “जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बन जाते हैं”। पूर्वी देशों में, जहाँ हज़ारों सालों से शाकाहार ही प्रमुख भोजन रहा है, वहाँ लोग यह जानते हैं कि जो कुछ भी हम खाते हैं, वो हमारे शरीर का हिस्सा बन जाता है और हमारे विचारों पर भी प्रभाव डालता है।
बास्केटबॉल कौशल को ध्यानाभ्यास में इस्तेमाल करना
ध्यानाभ्यास के लिए एकाग्रता की ज़रूरत होती है। इसका अर्थ है अपने शरीर को बिल्कुल स्थिर करके बैठना, जिस तरह खिलाड़ी अपने शरीर को उस स्थिति में रखते हैं जिसमें वो बॉल को पकड़ सकें। हमें भी आंतरिक बॉल के साथ जुड़ना है, इसीलिए हमारे शरीर का स्थिर होना ज़रूरी है।