कम इस्तेमाल होने वाली राह चुनें

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

जब हम इंसानी जीवन की ओर देखते हैं, तो हम पाते हैं कि ऐसी कई राहें हैं जिन पर हम चल सकते हैं, ऐसी कई मन्ज़िलें हैं जिन्हें हम चुन सकते हैं। अगर हम एक ऊँची जगह से नीचे दुनिया की ओर देखें, तो हम पायेंगे कि लोग कई अलग-अलग राहों पर चल रहे हैं, जैसे चींटियाँ ज़मीन पर चल रही होती हैं। हर कोई किसी न किसी मार्ग पर चलकर, किसी न किसी दिशा में जा रहा है।

कुछ लोग ऐसे जीवन की ओर जा रहे हैं जिसमें वे धनवान और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोग अपने करियर को बनाने की दिशा में जा रहे हैं, और अपना ज़्यादातर वयस्क जीवन किसी ख़ास क्षेत्र में काम करते हुए ही बिता देते हैं। कुछ लोग ज्ञान की राह पर हैं, और अपना सारा जीवन अध्ययन और शोध करने में ही बिता रहे हैं। कुछ लोग रिश्तों को और परिवार को महत्त्व देते हैं। कुछ अन्य लोग किसी ख़ास कौशल का विकास करना चाहते हैं, और अपना सारा समय अपनी कला को निखारने में ही लगा देते हैं। ये सभी राहें एक-दूसरे से मिली-जुली भी हो सकती हैं।

कम इस्तेमाल होने वाली राह चुनें : प्रेम का मार्ग

अगर हम उन सभी राहों की ओर देखें जिन पर लोग चल रहे हैं, तो हम पायेंगे कि उनमें एक चीज़ समान है। इन सभी राहों का अंत हो जाता है जब हम अपनी अंतिम साँस लेते हैं। मृत्यु के समय इन राहों पर हमारी यात्रा समाप्त हो जाती है। हमारी दौलत, हमारा करियर, हमारा सांसारिक ज्ञान, हमारे रिश्ते, हमारी कला, सब कुछ पीछे रह जाता है जब हमारा भौतिक शरीर ख़त्म हो जाता है।

इस वीडियो में संत राजिन्दर सिंह जी रिमोट कन्ट्रोल से टेलीविज़न चैनल्स बदलने का उदाहरण लेकर समझा रहे हैं कि हम अपने ध्यान को बदलकर आंतरिक मार्ग पर कैसे केंद्रित कर सकते हैं।

तो फिर हम कौन सी ऐसी राह पर चल सकते हैं जो अनंत है, जो हमारे शरीर की समाप्ति के बाद भी बनी रहती है, और जो हमें प्रभु की ओर ले जाती है? इसका जवाब है अध्यात्म। सार्वभौमिक प्रेम की राह हमें प्रभु की ओर ले जाती है, जहाँ हम वो प्रेम पा लेते हैं जो सदा-सदा के लिए कायम रहता है।

ध्यानाभ्यास सही राह चुनने में हमारी मदद करता है

प्रभु, परम आत्मा हैं और भौतिक संसार की सीमाओं से परे हैं। अगर हम अपनी अमूल्य साँसों को प्रभु-प्रेम पाने के प्रयासों में ख़र्च करेंगे, तो हम एक ऐसी राह पायेंगे जो हमें अनंत प्रेम की ओर ले जाएगी। यह आत्मिक यात्रा हमारी आत्मा को दुख-दर्द से भरपूर संसार से निकालकर एक ऐसे संसार में ले जाएगी जो प्रकाश, अनंत शांति और प्रेम से भरपूर है।

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इस सदा-सदा रहने वाले आनंदपूर्ण प्रेम को हम कैसे पा सकते हैं? हम प्रभु को पाने की राह पर कैसे चल सकते हैं? हम ऐसा ध्यानाभ्यास में बैठकर कर सकते हैं। प्रभु की ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने से न केवल हमारे शरीर को आराम और लाभ मिलता है, बल्कि हमारी आत्मा को भी सदा-सदा का प्रेम और आनंद प्राप्त होता है। ध्यानाभ्यास ही वो राह है जिस पर चलकर हम सार्वभौमिक प्रेम की अवस्था को पा सकते हैं।

अपना दिल प्रभु को देने से, हम अपने जीवन के परम उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं। प्रभु की ओर वापस जाने वाले मार्ग पर प्रेम ही हमारा सच्चा मार्गदर्शक है। जब हम अंतर में ध्यान एकाग्र करते हैं, तो एक पूर्ण सत्गुरु की सहायता व मार्गदर्शन से, हम ज्योति व श्रुति की धारा के साथ जुड़ जाते हैं।

यह दिव्य धारा प्रभु से निकल रही है, और हमें प्रभु के पास वापस जाने में मदद करती है। यह प्रभु की ओर जाने वाला राजमार्ग है। इस राजमार्ग का प्रवेश-बिंदु हम में से हरेक के भीतर है।

आंतरिक मंडलों में जाने से हम इतनी अधिक सुंदरता, आनंद और प्रकाश का अनुभव करते हैं जो इस भौतिक संसार के किसी भी आकर्षण से कई गुणा अधिक है। हम एक ऐसी असीम ख़ुशी का अनुभव करते हैं जो हमारे रोम-रोम में समा जाती है।

ध्यानाभ्यास हमारे अंदर परिवर्तन ले आता है

जैसे-जैसे हम और अधिक आगे यात्रा करते जाते हैं, वैसे-वैसे हमारे द्वारा अनुभव किया गया प्रेम और आनंद, और जो रहस्य हमारे सामने खुलते चले जाते हैं, वो हमारे अंदर एक व्यक्तिगत परिवर्तन ले आते हैं।

हम अपने अस्तित्व की सच्चाई के प्रति जागृत हो जाते हैं। हम प्रेमपूर्ण, दयालु, और निस्वार्थ बन जाते हैं, तथा समस्त जीवन की एकता को स्वीकार करते हैं और सभी की सेवा-सहायता करना चाहते हैं। हम प्रेम बाँटने का साधन बन जाते हैं, तथा दूसरों को ख़ुशियाँ और सहायता प्रदान करते हैं। हम विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने में अपना योगदान देते हैं। तब हम सबके प्रति प्रेम प्रसारित करने लगते हैं। हम सबके साथ अच्छाई करते हैं, अपने लाभ के लिए नहीं, बल्कि प्रभु का साधन बनकर दूसरों की सहायता करने के लिए।

अध्यात्म का हर पहलू प्रेम के सिद्धांत पर टिका है, जिसे हर आयु के और हर पृष्ठभूमि के लोग समान रूप से अनुभव कर सकते हैं। आध्यात्मिक अभ्यास, प्रेम की शक्ति पर चलते हैं। अगर हम आध्यात्मिक मार्ग के सभी पहलुओं में सार्वभौमिक प्रेम की भूमिका को समझ जायें, तो हम पायेंगे कि अध्यात्म बिल्कुल भी कठिन नहीं है। बल्कि असल में यह बहुत ही आसान है।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

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