विचारों में अहिंसा

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

14 अक्टूबर 2020

आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए अहिंसा एक महत्त्वपूर्ण सद्गुण है। इसका मतलब है कि हम विचारों से, वचनों से, और कार्यों से किसी भी जीव को नुकसान न पहुँचायें। जहाँ तक विचारों में अहिंसा की बात है, दूसरों की आलोचना करना सबसे आम उदाहरण है। हम शब्दों से तो ये करते ही है, लेकिन विचारों से भी पूरी तीव्रता से करते हैं।

lotus in peaceful pond

अगर हम दिन भर के अपने विचारों का निरीक्षण करें, तो हम देखेंगे कि हम दूसरों की आलोचना करते हैं। हम पूरे दिन के दौरान कई लोगों के खिलाफ़ मन में गुस्सा करते हैं। जब कुछ ऐसा होता है जो हमें अच्छा नहीं लगता है, तो हम उनके लिए भी बहुत बुरा सोचने लगते हैं जिनसे हम सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं।

हमारे विचार न केवल दूसरों को नुकसान पहुँचा सकते हैं, बल्कि ख़ुद हमें भी हानि पहुँचा सकते हैं। जो समय हम दूसरों के बारे में बुरा सोचने में बिताते हैं, वो समय है जिसमें हम स्वयं को मिली अनमोल साँसें व्यर्थ में ज़ाया करते हैं। दूसरों की आलोचना करने में बिताया गया समय हमें प्रभु को पाने के अपने लक्ष्य से दूर रखता है। पहली बात, अगर हम दूसरों के बारे में बुरा सोचते हैं, तो हम ध्यानाभ्यास के समय एकाग्र नहीं हो पाते हैं। दूसरी बात, वो विचार हमारे अंदर हलचल मचाता रहेगा और दिन भर हमारे साथ रहेगा। तीसरी बात, हम ऐसे कर्म बना लेंगे जिनका परिणाम हमें भुगतना होगा। और अंतिम बात, हम प्रभु की एक संतान के प्रति द्वेषपूर्ण रवैया रखेंगे।

आइए हम नकारात्मक विचारों, वचनों, और कार्यों की जगह अहिंसक विचारों से काम लें। हमें दूसरों की गलतियों और कमियों को करुणा के साथ देखना चाहिए। तब हम अपने आसपास वालों के लिए शांति और सुकून के स्रोत बन जायेंगे।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

अतिरिक्त संदेश

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

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अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करने की आवश्यकता है। हमें केवल अपने अंतर में देखना है। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, या आलोचना करने, या ज़बरदस्ती कुछ पाने की कोशिश करने से हम उस अनुभव से वंचित रह जायेंगे।

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

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अध्यात्म कोई कठोर ध्यानाभ्यास का मार्ग नहीं है जिसमें हम ख़ुद को अपने परिवार या समुदाय के लोगों से अलग कर लें और अकेले जीवन बितायें। इसके विपरीत, अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को दिव्य प्रेम में डुबो देना जोकि हमारा असली स्वरूप है।

ध्यानाभ्यास में नियमितता

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जब हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम इसमें निपुण होते जाते हैं और अंततः इच्छित परिणामों को पा लेते हैं। कई बार, हम दिन-ब-दिन बैठते तो ज़रूर हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम तरक्की नहीं कर रहे हैं। लेकिन धरती में बोए गए बीज कई बार कई हफ़्तों तक डंठल नहीं दिखाते हैं।