वसंत की वापसी

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

विश्व के अनेक भागों में वसंत आ चुका है, और अपने साथ खिलते फूलों की और सुहावने मौसम की ख़ुशियाँ लेकर आया है। कई स्थानों में वसंत के आगमन पर अनेक त्यौहारों व कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि इस मौसम की ख़ुशियों का स्वागत किया जा सके।

जहाँ एक ओर वसंत का अर्थ है हरियाली और फूलों का पुनआर्गमन, वहीं दूसरी ओर यह आध्यात्मिक पुनर्जीवन का भी प्रतीक है। जिस तरह वसंत का प्रकाश, बाहरी सर्दियों के अंधकार को दूर कर देता है; उसी तरह हमारे अंदर के अध्यात्म का प्रकाश, हमारी आत्मा की लंबी अंधेरी रात का अंत कर देता है।

बाहरी दुनिया के कार्यों में व्यस्त रहते हुए, कम ही लोग अपनी आत्मा के आध्यात्मिक बाग़ीचे में जाने का समय निकाल पाते हैं। हमारे अंदर ख़ुशियों और आनंद का ख़ज़ाना मौजूद है, लेकिन हम उसके अस्तित्व के प्रति अंधेरे में ही रहते हैं। जिस प्रकार सर्दियों की बर्फ़, उपजाऊ ज़मीन को ढककर उसे अदृश्य बना देती है; उसी प्रकार हमारी आत्मा के ख़ज़ाने भी हमारी अज्ञानता के नीचे दबकर अदृश्य बने रहते हैं।

जिस तरह वर्नल इक्वीनॉक्स (वसंत विषुव) पर चौबीस घंटों में से दिन और रात बिल्कुल बराबर, 12-12 घंटे के होते हैं, उसी तरह हमारी आत्मा का भी एक वर्नल इक्वीनॉक्स होता है। यह एक संतुलित अवस्था होती है। इसका अर्थ है कि हम इस संसार में जीते हुए अपने परिवार, अपने काम-काज, और अपने समुदाय के प्रति अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को पूरा करें, तथा साथ ही अपनी आत्मा और आध्यात्मिक विकास की ओर भी पूरा ध्यान दें। हम इस अवस्था को कैसे पा सकते हैं?

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ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपनी आत्मा के लिए वसंत इक्वीनॉक्स ला सकते हैं। रोज़ाना कुछ समय शांत अवस्था में बैठकर अंतर में ध्यान एकाग्र करने से, हम अपनी आत्मा के आध्यात्मिक फूल को खिला सकते हैं। हम अपने अंतर में मौजूद स्थाई ख़ुशियों और शांति की अवस्था के साथ जुड़ सकते हैं। ऐसा करने से, हम न केवल अपने आंतरिक जीवन को समृद्ध कर सकते हैं, बल्कि अपने रोज़ाना के कर्त्तव्यों को भी ख़ुशी-ख़ुशी निभा सकते हैं। हम अपने सभी बाहरी कार्य बेहतरीन ढंग से कर पाते हैं, और अपने मिलने वालों के साथ भी प्रेम व नर्मी से पेश आते हैं। इससे हमारे आसपास के लोगों में भी ख़ुशी का वातावरण बना रहता है।

आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने से हम अपने भीतर मौजूद, सदा-सदा रहने वाले, शांति और आनंद के वसंत से जुड़ जाते हैं। तब हम अपने अंतर में खिले हुए फूलों की ख़ुश्बू को अपने बाहरी जीवन में भी फैलायेंगे, और पूरे विश्व में ख़ुशी व शांति लाने में योगदान देंगे।

अतिरिक्त संदेश

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करने की आवश्यकता है। हमें केवल अपने अंतर में देखना है। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, या आलोचना करने, या ज़बरदस्ती कुछ पाने की कोशिश करने से हम उस अनुभव से वंचित रह जायेंगे।

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

अध्यात्म कोई कठोर ध्यानाभ्यास का मार्ग नहीं है जिसमें हम ख़ुद को अपने परिवार या समुदाय के लोगों से अलग कर लें और अकेले जीवन बितायें। इसके विपरीत, अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को दिव्य प्रेम में डुबो देना जोकि हमारा असली स्वरूप है।

ध्यानाभ्यास में नियमितता

ध्यानाभ्यास में नियमितता

जब हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम इसमें निपुण होते जाते हैं और अंततः इच्छित परिणामों को पा लेते हैं। कई बार, हम दिन-ब-दिन बैठते तो ज़रूर हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम तरक्की नहीं कर रहे हैं। लेकिन धरती में बोए गए बीज कई बार कई हफ़्तों तक डंठल नहीं दिखाते हैं।