मदर्स डे

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

12 मई 2019

मैं संसार के सभी लोगों को मदर्स डे की बधाई देता हूँ। इस विशेष दिन की शुरुआत अमेरिका में हुई, ताकि लोग अपनी माँओं का सम्मान कर सकें। यह दिन प्रत्येक मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। लेकिन मदर्स डे साल में एक बार ही नहीं मनाया जाना चाहिए, बल्कि इसे तो हमें अपने जीवन के प्रत्येक दिन और प्रत्येक मिनट में मनाना चाहिए। हम अपनी माँ को उनके असीम प्रेम और देखभाल के लिए कृतज्ञता ज़ाहिर कर, उनका सम्मान कर सकते हैं।

एक माँ का प्रेम उसी प्रेम का प्रतिबिंब होता है जो प्रभु हमसे करते हैं। प्रभु ही हमारे सच्चे माता-पिता हैं। प्रभु के बिना हम में से किसी का भी अस्तित्व नहीं होता। एक माँ अपने बच्चे के लिए जो कुछ करती है, उसे देखकर हम उस प्रेम का कुछ अंदाज़ा लगा सकते हैं जो प्रभु हमसे करते हैं।

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प्रभु हमसे निस्वार्थ प्रेम करते हैं। इस भौतिक दुनिया में हम निस्वार्थ प्रेम का जो सबसे बड़ा उदाहरण पाते हैं, वो है एक माँ का प्रेम।

एक माँ अपनी ख़ुद की ज़रूरतों की परवाह किए बिना अपने बच्चे को सबकुछ देती है। वो नौ महीने तक बच्चे को अपने गर्भ में रखकर तकलीफ़ सहती है, फिर बच्चे के जन्म की पीड़ा सहती है, फिर नवजात शिशु की देखरेख करने में अपनी रातों की नींदें ख़राब करती है।

वो बच्चो को खिलाती-पिलाती है, नहलाती है, और हर तरह से उसकी देखभाल करती है। जब बच्चा थोड़ा बड़ा होकर इधर-उधर भागने लगता है, तो वो उसको सुरक्षित रखने के लिए कई मुश्किलों से गुज़रती है। जब बच्चा और बड़ा होकर टीनेजर बन जाता है, तब भी माँ उसकी हर एक ज़रूरत को पूरा करती है। बच्चा जब पूरी तरह से बड़ा हो जाता है, उसकी शादी हो जाती है, उसके अपने बच्चे हो जाते हैं, और वो धीरे-धीरे युवावस्था से वृद्धावस्था की ओर कदम बढ़ा देता है, फिर भी उसकी माँ आख़िर माँ ही रहती है, और वो उससे उतना ही प्यार करती है और उसके बारे में उतनी ही चिंता करती है जितना तब करती थी जब वो छोटा शिशु था।

जितना प्रेम एक माँ अपने बच्चे से करती है, प्रभु हमें उससे कहीं अधिक प्रेम करते हैं। हम चाहे जीवन की किसी भी अवस्था में हों, प्रभु हमसे बेहद प्रेम करते हैं और वही चाहते हैं जो हमारे लिए सबसे अच्छा हो। हम चाहे प्रभु को याद करें या न करें, प्रभु हमेशा हमें याद रखते हैं और हमारी देखरेख करते रहते हैं।

ऐसे महान् प्रेम के लिए, हम में से हरेक को प्रभु के प्रति और अपनी माँ के प्रति शुक्रगुज़ार होना चाहिए।

अतिरिक्त संदेश

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अंतर में प्रभु का अनुभव करें

अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करने की आवश्यकता है। हमें केवल अपने अंतर में देखना है। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, या आलोचना करने, या ज़बरदस्ती कुछ पाने की कोशिश करने से हम उस अनुभव से वंचित रह जायेंगे।

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

अध्यात्म कोई कठोर ध्यानाभ्यास का मार्ग नहीं है जिसमें हम ख़ुद को अपने परिवार या समुदाय के लोगों से अलग कर लें और अकेले जीवन बितायें। इसके विपरीत, अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को दिव्य प्रेम में डुबो देना जोकि हमारा असली स्वरूप है।

ध्यानाभ्यास में नियमितता

ध्यानाभ्यास में नियमितता

जब हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम इसमें निपुण होते जाते हैं और अंततः इच्छित परिणामों को पा लेते हैं। कई बार, हम दिन-ब-दिन बैठते तो ज़रूर हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम तरक्की नहीं कर रहे हैं। लेकिन धरती में बोए गए बीज कई बार कई हफ़्तों तक डंठल नहीं दिखाते हैं।