प्रेम की खुश्बू को फैलायें

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

21 जुलाई 2020

एक ख़ूबसूरत कथन है, “मुस्कराने में पैसे नहीं लगते हैं।” आपकी मुस्कान किसी इंसान के जीवन में उजाला ला सकती है। फिर वो इंसान अपने से मिलने वाले अन्य लोगों में भी ख़ुशियाँ बाँट सकता या सकती है। यह चक्र चलता रहता है, और हमारी एक मुस्कान या मीठा शब्द बढ़ते-बढ़ते इतना अधिक गुणा होता जाता है कि वो कई लोगों के जीवन में ख़ुशियाँ ले आता है।

इससे भी आगे बढ़कर, हम अजनबियों के साथ भी अच्छा व्यवहार कर सकते हैं। दिन भर में हम सड़क पर कई लोगों के पास से गुज़रते हैं। हम दुकानों में चीज़ें ख़रीदने के लिए अजनबियों के साथ पंक्तियों में खड़े रहते हैं। हम रेलगाड़ियों में और बसों में और हवाईजहाज़ों में अजनबियों के साथ बैठते हैं। कई बार मुस्करा देने से, हैलो बोल देने से, या सामने वाले व्यक्ति से बातचीत करने से, उनका दिल उस प्यार और पर्वाह पर ख़ुशी से भर उठता है, जो शायद उन्हें और किसी से न मिलता हो।

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अपने-अपने खोल में सिमटे रहना और आसपास वालों को नज़रअंदाज़ करना बहुत आसान है। लेकिन कई बार लोगों के पास बात करने के लिए कोई नहीं होता, ऐसा कोई नहीं होता जिसके साथ वो अपनी तकलीफ़ें बाँट सकें।

प्रेम और करुणा वो ताकतें हैं जो सोते हुए दिलों को जगा देती हैं। प्रेम के बिना जीवन जीने लायक ही नहीं होता है। सभी लोग, छोटी उम्र से लेकर वृद्धावस्था तक, प्रेम पर ही जीते हैं। यह जीवन को ख़ुशी, आनंद, और मिठास से भर देता है। हमें अपने से मिलने वाले सभी लोगों को जीवनदायी प्रेम और करुणा से पोषित करना चाहिए। हम जिनसे भी मिलें, उन्हें दया और प्रोत्साहन से भरपूर एक शब्द बोलना कितना आसान है! हम एक-दूसरे के दिनों को कितना सुखद बना सकते हैं! एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कराना और प्यार भरी बातचीत करना कितना आसान है!

हम अपने नज़दीकियों को प्यार दर्शाने के लिए फूल भेंट करते हैं। आइए हम जिनसे भी मिलें, उन्हें फूल भेंट करें। मेरी आशा है कि हम ये फूल अपने दिलों में और अपने कार्यों में लिए घूमें, ताकि हम जहाँ भी जायें, ये फूल दिव्य प्रेम की खुश्बू को फैलायें।

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लेखक के बारे में

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संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

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अंतर में प्रभु का अनुभव करें

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अगर हम सच में प्रभु को पाना चाहते हैं, तो हमें अपने विचारों को स्थिर करने की आवश्यकता है। हमें केवल अपने अंतर में देखना है। प्रभु का अनुभव करने के लिए हमें अपने शरीर और मन को स्थिर करना होगा। मूल्यांकन करने, या आलोचना करने, या ज़बरदस्ती कुछ पाने की कोशिश करने से हम उस अनुभव से वंचित रह जायेंगे।

आध्यात्मिक प्रेम का जादू

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अध्यात्म कोई कठोर ध्यानाभ्यास का मार्ग नहीं है जिसमें हम ख़ुद को अपने परिवार या समुदाय के लोगों से अलग कर लें और अकेले जीवन बितायें। इसके विपरीत, अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को दिव्य प्रेम में डुबो देना जोकि हमारा असली स्वरूप है।

ध्यानाभ्यास में नियमितता

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जब हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम इसमें निपुण होते जाते हैं और अंततः इच्छित परिणामों को पा लेते हैं। कई बार, हम दिन-ब-दिन बैठते तो ज़रूर हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम तरक्की नहीं कर रहे हैं। लेकिन धरती में बोए गए बीज कई बार कई हफ़्तों तक डंठल नहीं दिखाते हैं।