प्रभु-प्रेम का महासागर

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

5 मई 2020

जब हम प्रभु के शुद्ध़, शीशे की तरह साफ़, महासागर में तैरते हैं, तो हम अपने सच्चे अस्तित्व या आत्मा का प्रतिबिंब देख पाते हैं। उसे धुंधला करने के लिए कोई मिट्टी या गंदगी नहीं होती है। हम महासागर की गहराई में देख पाते हैं, और कोई भी चीज़ हमारे ध्यान को उस पानी की शांति की ओर से नहीं हटा पाती। उसकी प्रेम भरी लहरें हमसे टकराती रहती हैं। वहाँ हमें अपनी शांति से दूर ले जाने वाला कोई आकर्षण नहीं होता।

हमारे अंदर दिव्य पानी का एक आनंदमयी तालाब मौजूद है। हम कभी भी ध्यानाभ्यास के द्वारा उसमें डुबकी लगा सकते हैं। जब हम इस तालाब में डूब जाते हैं, तो हम समस्त चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। हम पूरी तरह से आराम की अवस्था में पहुँच जाते हैं। उसका सुकूनदायी पानी हमारे मन और शरीर के तनावों को धो डालता है। जब हमारी आत्मा भीग जाती है, तो वो आनंद हमारे मन और शरीर में भी समा जाता है। हमारा मन काबू में आ जाता है, और वो फिर आत्मा के स्तर पर हमारी शांति को भंग नहीं कर पाता है।

अगर यह दिव्य तालाब हर समय हमारे अंदर है, तो हम इसमें तैरते क्यों नहीं हैं? दुर्भाग्य से, हम अपने अंदर लगातार उठने वाले विचारों में ही तैरते रहते हैं। अगर हम इन विचारों में ही तैरते रहते हैं, तो वो सुंदर तालाब गंदा हो जाता है। वो शांत पानी, मिट्टी से भर जाता है। वो गाढ़ा, चिपचिपा, और भारी हो जाता है, और हमें अपने पाश में बाँध लेता है।

उन विचारों में तैरने के बजाय जो हमें अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों से भटका देते हैं, हमें प्रभु में तैरना चाहिए। जब हम प्रभु में तैरते हैं, तो हम तृप्त हो जाते हैं। हम अपने अंदर मौजूद आध्यात्मिक ख़ज़ानों में डूब जाते हैं, तथा ख़ुशी व शांति से भरपूर हो जाते हैं।

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लेखक के बारे में

Sant Rajinder Singh Ji sos.org

 

 

 

 

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को अध्यात्म व ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक व बाहरी शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से सम्मानित किया गया है। साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के आध्यात्मिक अध्यक्ष होने के नाते, वे संसार भर में यात्राएँ कर लोगों को आंतरिक ज्योति व श्रुति पर ध्यान टिकाने की प्रक्रिया सिखाते हैं, जिससे शांति, ख़ुशी, और आनंद की प्राप्ति होती है।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ध्यानाभ्यास की अपनी प्रभावशाली और सरल विधि को सत्संगों, सम्मेलनों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, और मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स के द्वारा विश्व भर में लाखों लोगों तक पहुँचाया है। महाराज जी अनेक बैस्टसैलिंग पुस्तकों के लेखक भी हैं, तथा उनके ब्लॉग्स, वीडियोज़, गतिविधियों की सूचनाएँ, और प्रेरणादायी आध्यात्मिक कथन नियमित रूप से साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के वेबसाइट पर आते रहते हैं: www.sos.org। अधिक जानकारी के लिए और आगामी सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए यहाँ देखें। Facebook YouTube Instagram पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को फ़ॉलो करें।

 

 

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अंतर में प्रभु का अनुभव करें

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आध्यात्मिक प्रेम का जादू

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अध्यात्म कोई कठोर ध्यानाभ्यास का मार्ग नहीं है जिसमें हम ख़ुद को अपने परिवार या समुदाय के लोगों से अलग कर लें और अकेले जीवन बितायें। इसके विपरीत, अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को दिव्य प्रेम में डुबो देना जोकि हमारा असली स्वरूप है।

ध्यानाभ्यास में नियमितता

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जब हम रोज़ाना ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हम इसमें निपुण होते जाते हैं और अंततः इच्छित परिणामों को पा लेते हैं। कई बार, हम दिन-ब-दिन बैठते तो ज़रूर हैं, लेकिन हमें लगता है कि हम तरक्की नहीं कर रहे हैं। लेकिन धरती में बोए गए बीज कई बार कई हफ़्तों तक डंठल नहीं दिखाते हैं।