ख़ुशियाँ पाने का तरीका
आज के अपने ऑनलाइन प्रसारण में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने इंसानी दशा पर प्रकाश डाला, तथा हमारे दुखों के मूल कारण के बारे में बताते हुए यह भी समझाया कि हम सदा-सदा की ख़ुशियाँ कैसे पा सकते हैं।
महाराज जी ने उन विभिन्न अवस्थाओं के बारे में बताते हुए जिनसे हम जीवन में गुज़रते हैं – बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था, और वृद्धावस्था – समझाया कि हर अवस्था में हम अपने जीवन की तुलना अपने आसपास के लोगों के जीवन से करते रहते हैं। हमें लगता है कि दूसरे तो आराम से और ख़ुशी से अपना जीवन जी रहे हैं, जबकि हमारे जीवन में हमेशा मुश्किलें ही आती रहती हैं। एक रोचक कहानी की मदद से महाराज जी ने समझाया कि हर अवस्था के दौरान ख़ुशियों की तलाश में, हम किसी अन्य व्यक्ति का जीवन जीना चाहते हैं।
अपनी वर्तमान दशा में हम दुखों और तकलीफ़ों का एहसास करते हैं क्योंकि हमारा ध्यान हमेशा बाहरी दुनिया में लगा रहता है, महाराज जी ने फ़र्माया। यह भौतिक संसार एक भ्रम है, जिसमें हम जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वो सच नहीं है, और जो सच है उसे हम अपनी भौतिक इंद्रियों के द्वारा अनुभव नहीं कर पाते हैं। यहाँ पर हर चीज़ लगातार बदल रही है, और जो भी ख़ुशियाँ हम यहाँ महसूस करते हैं, वो अस्थाई और क्षणिक ही होती हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी ने फ़र्माया कि अगर हम हमेशा-हमेशा की ख़ुशियाँ पाना चाहते हैं, तो हमें अपने अंदर ध्यान लगाना होगा। हमारे भीतर शांति, ख़ुशी, और आनंद से भरपूर रूहानी मंडल हैं, जोकि स्थाई और अटल हैं। ध्यानाभ्यास के द्वारा अंतर में ध्यान टिकाकर, हम शरीर और इंद्रियों के घाट से ऊपर उठ सकते हैं, तथा प्रभु रूपी असीम महासागर में समा सकते हैं, जहाँ प्रेम, चेतनता, शांति, और आंनद का साम्राज्य है। हमारे बाहरी जीवन की अवस्था और दशा चाहे जैसी भी हो, हम अंतर में प्रभु की शांति और आनंद के साथ कभी भी जुड़ सकते हैं।