साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी/सावन कृपाल रूहानी मिशन ने भारत के राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान कई हज़ार लोगों तक भोजन पहुँचाया
6 अप्रैल 2020 । दिल्ली, भारतः आज जबकि पूरा विश्व एक भयंकर महामारी से जूझ रहा है, अनेक देशों ने कोविड-19 वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। भारत ने अपनी 1.3 अरब जनसंख्या की सुरक्षा के लिए, 24 मार्च को देश भर में लॉकडाउन (बंद) लागू कर दिया, ताकि संक्रमण के चक्र को रोका जा सके और बीमारी के प्रकोप पर लगाम लगाई जा सके। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक, डॉ. टैड्रॉस गिब्रियेसस, के अनुसार, “इन कदमों से किसी जनसंख्या के सबसे निर्धन और कमज़ोर वर्ग पर अनपेक्षित असर पड़ सकता है।”
भारत में लाखों प्रवासी मज़दूर, जो अपने जीवनयापन के लिए दैनिक कमाई पर निर्भर करते हैं, लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं। सरकार कई योजनाओं के द्वारा यह सुनिश्चित कर रही है कि इस समय भोजन और जीवन के लिए अन्य ज़रूरी वस्तुएँ सबसे कमज़ोर तबके तक अवश्य पहुँचें।
सरकारी प्रयासों में इज़ाफ़ा करते हुए, साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी (SOS)/सावन कृपाल रूहानी मिशन (SKRM) के अध्यक्ष, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज, की अध्यक्षता व मार्गदर्शन में, देश भर में SOS सेवादारों ने फूड किचन और फूड ड्राइव स्थापित किए हैं, जिनसे ज़रूरतमंदों को गर्म भोजन और अन्य ज़रूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है।
दिल्ली से जालंधर तक, अमृतसर से हैदाराबाद तक, मुम्बई से देहरादून तक, SOS सेवादार देश भर के SOS सेंटरों में, सोशल डिस्टैंसिग (सामाजिक दूरी) का पालन करते हुए, खाना बना और पैक कर रहे हैं, तथा अन्य ज़रूरी सामान भी पैक कर रहे हैं। फिर ये पैकेट्स स्थानीय सरकारी अधिकारियों की मदद से रोज़ाना ज़रूरतमंदों में बँटवाए जाते हैं, ताकि उन्हें भूखा न रहना पड़े। विश्व भर में 3000 से भी अधिक सेंटर, और भारत में 2000 से भी अधिक सेंटर, वाले SOS संगठन के विशाल नेटवर्क के कारण यह इस चुनौतीपूर्ण समय में कई हज़ारों को सफलतापूर्वक भोजन प्रदान करने में सफल हो रहा है।
मानवता की सेवा, साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी की शिक्षाओं का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह अंतर्राष्ट्रीय ग़ैर-लाभकारी संस्था, ध्यानाभ्यास द्वारा लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए समर्पित है। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के शब्दों में, सेवा “प्रेम के वृक्ष का सबसे मीठा फल है।” सेवा एक तरह से हम सबके अस्तित्व को जोड़ने वाली आधारभूत एकता को स्वीकार करना है, और जब यह दयालुता, करुणा, तथा निस्वार्थ भाव के साथ की जाती है, तो इस सेवा में, एक-एक दिल करके, संसार भर को बदल देने की शक्ति होती है।
आज पूरे विश्व में यह निस्वार्थता, दयालुता, और उदारता की भावना बढ़ रही है, जबकि व्यक्ति और समुदाय अपनी आपसी समान मानवता और एकता को स्वीकार कर रहे हैं, तथा एक-दूसरे की मदद करने के लिए रचनात्मक तरीके ढूंढ निकाल रहे हैं। हमें विश्वास है कि जब कोरोना-वायरस महामारी का निर्णायक इतिहास लिखा जाएगा, तो वो न केवल हानि और निराशा की कहानी बयान करेगा, बल्कि मानव एकता की मिसाल भी पेश करेगा, जिसमें अपने समय की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी दुनिया के लोग एकजुट हुए और वैश्विक समुदाय के रूप में कंधे से कंधा मिलाकर सामने आए।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज और साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया sos.org का अध्ययन करें। इस और अन्य सेवा गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी पाने के लिए संपर्क करें: media@sos.org ।