ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने आंतरिक स्पा में जायें
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
जब हम आराम करने के लिए छुट्टियों पर जाने की बात सोचते हैं, तो कई लोग स्पा में जाना पसंद करते हैं। स्पा इसीलिए बनाए जाते हैं ताकि हमारे शरीर और मन को पूर्ण विश्राम मिल सके। एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल यूनाइटेड स्टेट्स में ही उस हज़ार से ज़्यादा स्पा हैं, और पूरी दुनिया में तो इससे कहीं ज़्यादा हैं। “स्पा” लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है “पानी से स्वास्थ्य”। शताब्दियों से, लोग मानते आए हैं कि खनिजों से भरपूर गर्म पानी में नहाने से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। पुराने ज़माने में, इसे “पानी लेना” कहा जाता था। माना जाता है कि इससे हमारे शरीर और मन का कायाकल्प हो जाएगा।
हम लोग अक्सर स्पा में जाते हैं, चाहे हमारे शहर में ही हो या किसी दूसरे शहर में, लेकिन हम इस बात से अनजान हैं कि हमारे अंदर भी एक स्पा है, जहाँ पहुँचने के लिए हमें किसी बाहरी यात्रा पर जाने की ज़रूरत नहीं है। आपके अंदर ही आपका रिट्रीट या शांतिपूर्ण स्थल मौजूद है।
ज़्यादातर स्पा शरीर को आराम देने के लिए होते हैं। वहाँ के व्यायाम उपकरण हमारे शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखते हैं। स्विमिंग पूल, हॉट टब, या जैकूज़ी, का गर्म, घूमता हुआ पानी हमारी माँसपेशियों को आराम पहुँचाता है। वहाँ कई प्रकार की मसाज या मालिश भी दी जाती है, कुछ हल्के दबाव वाली तो कुछ ज़्यादा दबाव वाली। इन सबसे हमारे शरीर का तनाव बाहर निकलता है।
चिकित्सा शोधकर्ताओं ने पाया है कि तनाव में कमी आने से हमारे शरीर का स्वास्थ्य बेहतर होता है। डॉक्टरों ने शरीर में तनाव हॉर्मोनों, जैसे ऐड्रीनेलिन और कॉर्टिसोल, के उत्पन्न होने के बारे में बहुत खोज की है। ये हॉर्मोन हमारे शरीर को लड़ो-या-भागो प्रतिक्रिया के लिए तैयार करते हैं। ये हमारे शरीर में थोड़े से समय के लिए घूमते हैं, ताकि हमें ख़तरे से बचने के लिए तैयार कर सकें। लेकिन जब हम किसी वास्तविक शारीरिक ख़तरे में नहीं होते, और फिर भी ये हॉर्मोन हमारे अंदर उत्पन्न होकर दिन भर हमारे शरीर में घूमते रहते हैं, तो ये हमारे शरीर को नुकसान पहुँचा सकते हैं। लंबे समय तक इन हॉर्मोनों की मौजूदगी से हमारे शरीर के विभिन्न अंग ख़राब हो सकते हैं या काम करना बंद कर सकते हैं। समय के साथ-साथ, इस सबसे हृदय, साँसों, रक्तसंचार, पाचन, और शरीर की अन्य प्रणालियाँ भी ख़राब होने लगती हैं। हमारे शरीर की दर्ज़नों बीमारियाँ तनाव की अधिकता से जुड़ी होती हैं। इसीलिए, हमारे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शरीर को आराम देना बहुत ज़रूरी है।
शारीरिक तनाव में कमी आने से स्वास्थ्य में सुधार होता है
स्पा में मिलने वाले शारीरिक उपचारों से हमारे शरीर को आराम मिलता है। लेकिन एक दूसरी तकनीक भी है जिसे हम स्पा में या अपने घर में इस्तेमाल कर सकते हैं, और जो वही परिणाम देती है। ध्यानाभ्यास हमारे लिए एक इंस्टेन्ट या तत्काल स्पा का काम करता है, चाहे हम कहीं भी हों। इस तकनीक को हम घर में, ऑफ़िस में, यात्रा करते समय, या किसी भी तनावपूर्ण स्थिति में, कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ध्यानाभ्यास हमें शारीरिक रूप से शांत होने में मदद करता है। इसे हम कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। ध्यानभ्यास के द्वारा हम अपना आंतरिक स्पा पा सकते हैं।
ध्यानाभ्यास हमें तनाव से शारीरिक राहत कैसे प्रदान करता है? जब हम ध्यान में बैठते हैं, तो हमारा शरीर शांत और स्थिर हो जाता है। हमारे शरीर में कोई गतिविधि, कोई हलचल नहीं होती।
साथ ही, ध्यानाभ्यास में, हमारे मस्तिष्क की तरंगें प्रति सेकेंड बहुत धीमी पड़ जाती हैं। उदाहरण के लिए, ध्यानाभ्यास के दौरान, हमारे मस्तिष्क की तरंगें 5-8 हर्ट्ज़ तक पहुँच जाती हैं। यह थीटा अवस्था होती है। रचनात्मक कार्य करते समय हमारा मस्तिष्क 9-12 हर्ट्ज़ पर काम करता है। जब हम अपने रोज़मर्रा के साधारण कार्य करते हैं, तो हम 13-20 हर्ट्ज़ पर काम कर रहे होते हैं, जोकि अधिक तनावपूर्ण होता है। जब हम ध्यान में बैठते हैं, तो हमारे मस्तिष्क की तरंगें धीमी पड़ जाती हैं, जिससे हमारा शरीर अपने आप ही गहन विश्राम की अवस्था में पहुँच जाता है। इस समय तनाव संबंधी हॉर्मोन उत्पन्न नहीं होते। इससे शरीर को एक शांत, तनावरहित अवस्था में तरोताज़ा होने का अवसर मिलता है। इसे हम सब कर सकते हैं, चाहे हम कहीं भी हों। हम ध्यानाभ्यास में समय बिताकर, शारीरिक तनाव कम करने में इसके सकारात्मक प्रभाव को देख सकते हैं।
लोग मानसिक आराम के लिए भी स्पा में जाते हैं। हमारा मन हर समय भाग रहा होता है, जैसे किसी ट्रैडमिल पर दौड़ रहा हो। उसे रोज़मर्रा के जीवन के तनावों और चिंताओं से मुक्त होने का कोई अवसर ही नहीं मिलता।
हम हर समय अपने काम, अपनी आर्थिक हालत, अपने स्वास्थ्य, अपने परिवार, अपने रिश्ते-नातों, और जीवन की अन्य जटिल परिस्थितियों के बारे में सोचते रहते हैं। हमें क्या-क्या करना है, ये विचार अपने आप में ही मुश्किल होते हैं, लेकिन हम अक्सर इनके साथ चिंता और बेचैनी भी जोड़ देते हैं।
इस दुनिया के कामों के विचारों के साथ-साथ हमें पछतावे, अपराधबोध, भय, और बेचैनी के विचार भी सताते रहते हैं। ये आसान विचार नहीं होते। हम इसे बीजगणित या ऐल्जैब्रा के एक सूत्र या फ़ॉर्मूले से समझ सकते हैं। एक काम करने के लिए, हमें ‘ग’ मात्रा में विचार करना होगा। लेकिन जब हम उसकी चिंता करते हैं, तो हम उसमें ‘द’ भी जोड़ देते हैं, जिसमें ‘द’ वो विचार होते हैं जो कई मिनटों, घंटों, और दिनों तक भी चल सकते हैं।
तो हर उस विचार के लिए जिसमें हमें बोलने या कुछ करने की ज़रूरत पड़ती है, हम उसमें चिंता जोड़कर उसे और अधिक जटिल बना देते हैं। फिर, कुछ कहने या करने के बाद, हम किसी दूसरे विचार और उससे जुड़ी चिंताओं के बारे में सोचने लगते हैं। इस तरह, ज़रूरी और ग़ैर-ज़रूरी विचारों का एक अनंत समुद्र हर वक़्त हमारे मन में उमड़ता रहता है।
आइए हम ‘द’ को समीकरण से निकाल दें और केवल ‘ग’ विचारों से काम लें, जो जीवन के कार्यों को पूरा करने के लिए ज़रूरी होते हैं। ‘द’ होता है ग़ैर-ज़रूरी बकवास, इसीलिए हमें अपने जीवन से ग़ैर-ज़रूरी चिंता को निकाल फेंकना चाहिए, ताकि हमारा मन शांत हो सके।
स्पा में जाकर हमारा मन शांत होता है। वहाँ की शारीरिक गतिविधियों से शरीर को आराम मिलता है और हमारा मन भी शांत होता है। स्पा में मानसिक तनाव कम करने के लिए भी गतिविधियाँ होती हैं। दुर्भाग्यवश, कुछ लोग वहाँ पूल में जाते हैं और मसाज भी लेते हैं, लेकिन उनके मन में फिर भी अनेकों विचार और चिंताएँ घूम रही होती हैं।
बाहरी स्पा हमारे मन को शांत नहीं कर पाएगा यदि हम वहाँ भी अपनी समस्याओं के बारे में सोचते और चिंता करते रहेंगे। हमारे मन को शांत करने का एक तरीका है, जिसे हम स्पा में या घर में इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने मन को शांत करने के लिए आपको किसी बाहरी स्पा में जाने की ज़रूरत नहीं है।
ध्यानाभ्यास आपको एक आंतरिक स्पा में ले जाता है, जिसमें आप कभी भी जा सकते हैं, चाहे आप कहीं भी हों, ऑफ़िस में, घर में, या किसी भी तनावपूर्ण वातावरण में। जब आप ध्यानाभ्यास करते हैं, तो आपके मस्तिष्क की तरंगें 5-8 हर्ट्ज़ तक पहुँच जाती हैं, जिससे न केवल हमारा शरीर बल्कि मन भी शांत हो जाता है। मस्तिष्क की तरंगों के धीमा होने से हमारा मन गहरे आराम का अनुभव करता है।
शरीर और मन के आपसी संबंध के बारे में चल रहे शोधों ने दर्शाया है कि वे एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। शरीर के शांत होने से हमारा मन भी शांत हो जाता है, और मन के शांत होने पर हमारा शरीर भी शांत हो जाता है। अगर हम मानसिक तनाव कम कर लें, तो शरीर में मौजूद तनाव हॉर्मोनों में कमी आती है। इस तरह हमारा शरीर इन हॉर्मोनों के हानिकारक प्रभावों से बच जाता है। हमारा शरीर तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए बेहतर रूप से तैयार होता है। इससे हमारे स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। इस प्रकार, ध्यानाभ्यास हमारे शरीर और मन, दोनों को आराम पहुँचाता है।
हालाँकि सैद्धांतिक रूप से ध्यानाभ्यास हमारे मन को शांत करता है, लेकिन मैं दुनिया में जहाँ कहीं भी जाता हूँ, वहाँ मुझसे एक सवाल बार-बार पूछा जाता है, “ध्यानाभ्यास के दौरान मैं अपने मन को भटकने और सोचने से कैसे रोक सकता हूँ?” यह एक आम समस्या है। चाहे हम कैसे भी ध्यानाभ्यास करें, हमारा मन फिर भी सोचने और चिंता करने का मौका ढूंढ ही लेता है। तो फिर क्या ध्यानाभ्यास का कोई ऐसा तरीका भी है जिससे हमारा मन स्थिर हो सके?
अच्छी ख़बर यह है कि ध्यानाभ्यास की एक ऐसी सरल विधि मौजूद है जो हमारे मन को शांत कर सकती है। साथ ही, यह ध्यानाभ्यास हमारे शरीर और मन को शांत करने से अधिक भी कुछ करता है। इस ध्यानाभ्यास से हमारी आत्मा या आंतरिक पहलू भी पोषित होता है। अधिकतर स्पा शरीर और मन की ओर ध्यान देते हैं। कुछ ही होते हैं जो हमारे आत्मिक पहलू की ओर ध्यान देते हैं। ध्यानाभ्यास हमें उस आध्यात्मिक स्पा में ले जाता है जो हमें हमारे अस्तित्व के सबसे आनंदमयी पहलू – हमारी आत्मा – के साथ जोड़ देता है।
हम स्पा को एक सुंदर स्थान के रूप में देखते हैं। वहाँ की सुंदर सजावट हमें शांति प्रदान करती है। हल्के रंग, ख़ूबसूरत फूल, और मधुर संगीत वहाँ के वातावरण को ख़ुशनुमा बनाते हैं। कुछ स्पा अरोमाथेरेपी के ज़रिए हमें शांत करने वाला सुगंधित वातावरण भी प्रदान करते हैं। कुछ स्पा हमें ऐसा खाना-पीना भी देते हैं जो हमारे शरीर और मन को शांत करते हैं। लेकिन हमारे अंदर एक ऐसा स्पा भी मौजूद है जो इस संसार के बढ़िया से बढ़िया स्पा से कहीं गुणा अधिक सुंदर, शांत, और आनंददायी है। इस आंतरिक स्पा में हम ध्यानाभ्यास के द्वारा जा सकते हैं।
बाहरी स्पाओं में सिखाई जाने वाली ध्यानाभ्यास विधियाँ अक्सर केवल शरीर और मन को ही आराम देती हैं। लेकिन ध्यानाभ्यास के द्वारा आंतरिक स्पा में जाने से हमारा आंतरिक पहलू शांत होता है। इसका उपचारात्मक पानी हमारे अंतर्मन को स्वस्थ करता है। हम इस आंतरिक स्पा में जाकर इसके शांतिपूर्ण पानी में स्नान करके तरोताज़ा हो सकते हैं। हम सोचते हैं कि हम केवल यह शरीर और मन ही हैं, और अपने आंतरिक रूप से जुड़ते ही नहीं हैं। अगर हम ऐसा कर सकें, तो हम शांति व ख़ुशी से भरपूर हो जायेंगे।
अगर हम ध्यानाभ्यास करें, तो हम उस पोषणदायी जल में स्नान कर पायेंगे जो हमें आनंद से भरपूर कर देगा।
इस आंतरिक स्पा में जाकर हम अपनी सांसारिक समस्याओं को भूल जाते हैं। हम आनंद और शांति से भरपूर जल में डूब जाते हैं। हम जान जाते हैं कि बाहरी संसार की समस्याएँ, जिनके बारे में हम इतनी चिंता करते हैं, वो बहुत छोटी और बुलबुलों के समान हैं। वो अस्थाई और भ्रामक हैं। अपने आंतरिक स्पा में डूबकर हम सच्ची शांति से भर जाते हैं। हम जान जाते हैं कि हम यह शरीर और मन नहीं, बल्कि आत्मा हैं।
बाहरी और अंदरूनी स्पा में कई समानताएँ भी हैं। दोनों ही शरीर और मन को शांत करते हैं। हम बाहरी सूर्य के प्रकाश का आनंद ले सकते हैं। ध्यानाभ्यास में भी हम अपने आंतरिक सूर्य के प्रकाश का आनंद ले सकते हैं। हमारे अंदर बेहद प्रकाश मौजूद है। बाहरी सूर्य के प्रकाश के साथ-साथ हम अपने आंतरिक स्पा में आंतरिक प्रकाश का आनंद भी ले सकते हैं।
बाहरी स्पा में, हम कई तरह के उपचारात्मक पानी में जा सकते हैं। कई तालों में ठंडा पानी होता है। कई हॉट टब में गर्म पानी से शरीर को आराम दिया जाता है। समुद्र के पास के स्पा में समुद्री हवा की नमी हमें ठंडक पहुँचाती है। समुद्री पानी हमें घेरे रहता है। जिस प्रकार हम बाहरी पानी से ख़ुद को तरोताज़ा कर सकते हैं, उसी प्रकार हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अंदर जाकर आंतरिक जल से अपनी आत्मा को पोषित कर सकते हैं। हमारे अंदर हर समय एक उपचारात्मक जल की धारा बह रही है। यह जलधारा हमें आनंद और शांति से भरपूर कर देती है।
लोग जिस रहस्य का जवाब पाना चाहते हैं, वो यह है कि इस आंतरिक स्पा, जो हमें शांति और आनंद से भरपूर कर देता है, का स्रोत कहाँ है? वैज्ञानिक इसका जवाब खोजने के लिए शक्तिशाली टैलिस्कोपों की मदद लेते हैं, और बाहरी अंतरिक्ष में दूर-दूर तक जाकर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या इस भौतिक अंतरिक्ष के आगे भी कुछ है। वे अंतरिक्ष में यान भेजते हैं, जो सालों तक यात्रा करते हैं, और उन पर लगे टैलिस्कोप हमें हमारे सवालों का जवाब देने के लिए अंतरिक्ष के चित्र भेजते रहते हैं।
वैज्ञानिक टैलिस्कोप के द्वारा इंसानी डी.एन.ए. की जाँच करके यह पता लगाना चाहते हैं कि हम कौन हैं। वे पदार्थ को परमाणुओं और उससे भी छोटे कणों में तोड़कर यह देखना चाहते हैं कि इस सृष्टि का रहस्य क्या है।
ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपने आंतरिक स्पा में जा सकते हैं। जिस तरह एक स्पा में जाकर हम अपने जीवन के सारे तनावों को धो सकते हैं, उसी तरह ध्यानाभ्यास के द्वारा हम आंतरिक गंदगी की उन पर्तों को हटा सकते हैं जो हमारी शांति, चेतनता, और ख़ुशियों को ढक रही होती हैं। ये पर्तें हमारे अंतर के साफ़ और शुद्ध पानी को गंदा कर देती हैं।
जब हम ध्यानाभ्यास के द्वारा अपने आंतरिक स्पा में जाते हैं, तो हम शांति, प्रेम, और ख़ुशियों से भरपूर हो जाते हैं।
इस आंतरिक स्पा में जाने के लिए हमें अपना ध्यान अंतर में टिकाना होगा। इसका मतलब है कि हमें थोड़े समय तक, बिना किसी सोच-विचार के, अपने अंतर में एकाग्र होना होगा। इस समय हमें कोई भी विचार आ सकते हैं, अतीत के या भविष्य के। ज़्यादातर हमारे विचार लोगों के बारे में होते हैं, कि वो ऐसा नहीं कर रहे जैसा हम चाहते हैं। हमारा अधिकतर तनाव हमारे क्रोध, परेशानी, या बेचैनी से ही उत्पन्न होता है। ध्यानाभ्यास हमें इन विचारों को दूर करने में मदद करता है, ताकि हम शांत हो सकें।
मैं आशा करता हूँ कि ध्यानाभ्यास सभी को अपने आंतरिक स्पा में जाने में मदद करे, ताकि हम ख़ुशी और ताज़गी का अनुभव कर सकें।
कार्यस्थल पर ध्यानाभ्यास हमें शांत होने में किस प्रकार मदद कर सकता है, इस बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – कार्यस्थल पर शांत कैसे रहें।